यदि आप पी.वी. सिंधुजी से मिलते हैं तो साक्षात्कार लेने हेतु एक
प्रश्नावली तैयार कीजिए।
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महिला बैडमिंटन प्लेयर पीवी सिंधु हाल ही में विश्व टूर फाइनल्स का खिताब जीतने वाली देश की पहली खिलाड़ी बन गई हैं। उनकी यह शानदार जीत इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे पहले वह फाइनल में आकर बार-बार हार जाती थीं। रियो ओलिंपिक में सिल्वर मेडल और राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड से सम्मानित पीवी सिंधु पद्मश्री प्राप्त करने वाली सबसे कम उम्र की भारतीय महिला हैं। उन्होंने महज आठ साल की उम्र से ही बैडमिंटन खेलना शुरू कर दिया था। कड़ी मेहनत से हर चुनौती को स्वीकार करने वाली पीवी सिंधु से संध्या रानी ने बातचीत की। प्रस्तुत हैं अंश:
• सबसे पहले आपको वर्ल्ड टूर फाइनल्स का खिताब जीतने की बहुत-बहुत बधाई। क्या कारण था कि आप हर बार फाइनल में आकर हार जाती थीं?
धन्यवाद। यह सच है कि मैं फाइनल में हर बार हार जाती थी। किसी भी टूर्नामेंट का फाइनल इतना आसान नहीं होता जितना लोग सोचते हैं, क्योंकि सभी खिलाड़ी अपना अच्छा प्रदर्शन करते हैं। मैंने भी हर टूर्नामेंट में अपना बेस्ट देने की कोशिश की है। इसी वजह से मैं ओलिंपिक में सिल्वर मेडल भी जीत पाई। लेकिन यह भी सच है कि हर बार हम टॉप फॉर्म में नहीं होते। इसलिए हमलोग कभी जीतते तो कभी हारते हैं। मेरे लिए भी यह टूर्नामेंट बहुत अच्छा था और फाइनल में आकर मैं भी बहुत अच्छा खेली जिसका नतीजा आपलोगों के सामने है।
• आज हमारे पास एक ही समय में बैडमिंटन की दो दिग्गज खिलाड़ी हैं साइना नेहवाल और पीवी सिंधू। इसे आप किस रूप में देखती हैं?
आजकल हमारे देश में लड़के और लड़कियां बहुत अच्छा खेल रहे हैं। मेरे और साइना के बाद भी कुछ अच्छे जूनियर खिलाड़ी हैं। वे काफी मेहनत कर रहे हैं, उनके जुनून को देखते हुए मैं उनसे उम्मीद करती हूं कि वे बहुत अच्छे खिलाड़ी बनेंगे।
• जापानी खिलाड़ी नोजोमी ओकुहारा को हराना कितना मुश्किल था आपके लिए?
मैं और नोजोमी बहुत बार खेल चुके हैं। उनके साथ मेरे बड़े-बड़े मैच होते रहते हैं। इसलिए हम दोनों एक-दूसरे के गेम के बारे में बहुत अच्छे से जानते हैं। जब भी उनके साथ मैच होता है तो मुझे अपना गेम प्लान करना पड़ता है, क्योंकि वह बहुत अच्छा खेलती हैं और शटल भी नहीं छोड़ती हैं।
• एक दौर था जब बैडमिंटन में चीनी खिलाड़ियों का दबदबा हुआ करता था। आज स्थितियां कितनी बदली हैं?
आजकल हरेक देश से बहुत अच्छे खिलाड़ी आ रहे हैं। महिलाओं में खासतौर से सब लोगों का स्टैंडर्ड एक ही लेवल का है। लेकिन उनमें से हमलोग देखते है कि कौन बेहतर खिलाड़ी है। जहां तक चाइनीज लड़कियों का सवाल है तो अभी तीन-चार जूनियर खिलाड़ी हैं जो बहुत अच्छा खेल रही हैं।
• अपने चैलेंज को किस तरह लेती हैं और खेलते समय क्या सोचती हैं?
मैं अपने चैलेंज को बहुत पॉजिटिवली लेती हूं, क्योंकि सभी खिलाड़ी बहुत अच्छा खेल रहे हैं। खेलते समय मैं सिर्फ एक ही बात सोचती हूं कि मुझे अच्छा खेलना है और हर हाल में अपना बेस्ट देना है।
• आप हार और जीत को किस तरह लेती हैं?
मैं हार और जीत को एक ही तरह लेती हूं, क्योंकि खेल में तो हार और जीत लगी ही रहती है। वैसे इसका मतलब यह नहीं है कि जीत मुझे अच्छी नहीं लगती। वैसे ही हारने के बाद किसी को भी बुरा लगता है, मुझे भी लगता है। लेकिन मेरे साथ एक अच्छी बात यह है कि हारने के बाद मैं अपनी कमी को सुधारती हूं और फिर खेलने के लिए आ जाती हूं। ऐसा नहीं है कि हारने के बाद अब हमें नहीं खेलना है। ये सब मैं नहीं सोचती।
• भविष्य में सफलता को कायम रखने में कितना चैलेंज महसूस करती हैं?
हर दिन एक नया चैलेंज रहता है। मेरे लिए शॉर्ट टर्म गोल्स भी काफी मायने रखते हैं। हालांकि 2018 मेरे लिए बहुत अच्छा साल रहा है और मैं उम्मीद करती हूं कि आने वाला साल भी मेरे लिए बहुत ही अच्छा होगा।
• अपनी सफलता का श्रेय किसे देती हैं?
सबसे पहले अपने माता-पिता और अपने कोच पुलेला गोपीचंदजी को धन्यवाद देना चाहती हूं, क्योंकि उन लोगों ने मुझे बहुत प्रोत्साहित किया है। इसी का परिणाम है कि मैंने अपने खेल में पहले से काफी इंप्रूव किया है।
• बैडमिंटन खेलने की प्रेरणा कैसे मिली? आपके पैरंट्स तो वॉलीबॉल खिलाड़ी हैं?
बचपन से ही इस गेम में मेरा इंटरेस्ट था। इसलिए मैंने बैडमिंटन खेलना शुरू किया। पैरंट्स ने कभी मुझे मना नहीं किया, बल्कि उन्होंने तो काफी सपोर्ट किया है। उन्होंने कभी नहीं कहा कि तुम वॉलीबॉल खेलो।
• आजकल बहुत महंगी शादियां हो रही हैं। लेकिन साइना नेहवाल ने बहुत सिंपल तरीके से अपनी शादी की है। इस बारे में क्या कहेंगी?
(हंसते हुए) यह तो हर व्यक्ति का अपना पर्सनल मामला है। जिसको जो अच्छा लगता है वह करता है। साइना की भी अपनी पसंद है और उन्होंने वही किया जो उनको अच्छा लगा। हालांकि मैं साइना की शादी से बहुत खुश हूं।