यदि आप वल्लभ भाई की जगह होते तो क्या करने का फैसला लेते और क्यों
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आज 15 दिसंबर है. 1950 में इसी तारीख को सरदार पटेल गुजर गए थे. तब वो भारत के गृह मंत्री थे. ऐसा नहीं कि मरने के बाद उनका जिक्र खत्म हो गया हो. इन दिनों पटेल का जिक्र बढ़ा है. और पटेल का नाम आता है तो नेहरू का ज़िक्र उसमें नत्थी रहता है. और ये कोई संयोग नहीं. न ही इसकी वजह ये है कि नेहरू और पटेल, दोनों समकालीन थे. दोनों गांधी के सिपाही. आजादी की लड़ाई के हीरो. और आजाद मुल्क के शुरुआती सालों में हुई सबसे अहम चीजों के कर्ता-धर्ता.
असल में नेहरू और पटेल को एक-दूसरे के सामने खड़ा करके उनके बीच ‘बनाम’ की स्थिति बना दी गई है. ये साबित करने की कोशिश की जा रही है कि पटेल के साथ अन्याय हुआ. हमें ये भी बताया जा रहा है कि अगर पटेल भारत के प्रधानमंत्री बनते, तो देश कहीं ज्यादा तरक्की करता. कुछ अहम परेशानियां, जिनसे हम आज जूझ रहे हैं, वो तब ही
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yadi app vallb bhai patel ki gagha ho ta to app kya karna ka fasla lata aur qqq