यदि आपको घर में पशु/ पक्षी पक्षी पालना हो तो आप ककस पशुअथवा पक्षी का चयन करेंगे? क्यों?
Answers
या पशु पक्षियों को पालने का हमारे जीवन पर कोई असर पड़ता है ? हर पशु और हर पक्षी के अन्दर एक विशेष तरह की तरंग होती है. उस तरंग के कारण उस पशु या पक्षी का असर हमारे ऊपर पड़ता है. पशु पक्षी के रंग और उसकी आदतों का भी हमारे स्वास्थ्य और आर्थिक दशा पर असर पड़ता है.
कुत्ते को पालने का किस तरह का असर हो सकता है?
- कुत्ता सबसे ज्यादा बुद्धिमान , वफ़ादार और दूरदर्शी प्राणी है
- इसे भैरव की सवारी माना जाता है , और इसका सम्बन्ध राहु , केतु या शनि से जोड़ा जाता है
- कुत्ता पालने से मानसिक अवसाद दूर होता है , साथ ही आने वाली दुर्घटनाओं से रक्षा होती है
- काला कुत्ता शनि का प्रतीक है , भूरा राहु का प्रतीक है , और चितकबरा केतु का .
- अगर कुंडली में केतु ख़राब है तो कुत्ता नहीं पालना चाहिए
- पर अगर शनि ख़राब है तो कुत्ता जरूर पालना चाहिए
गाय और भैंस
- दोनों ही पशु दुधारू हैं और बहुत मेहनती भी
- गाय के वंश को शिव जी की सवारी माना जाता है , भैंस को यमराज की
पक्षी - तोता , मैना , कबूतर
- पक्षियों का सम्बन्ध आपकी आर्थिक स्थिति और आपके पारिवारिक जीवन से होता है
- अगर पक्षियों का व्यवसाय करते हैं तो आप पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ेगा
- पर केवल मनोरंजन और प्रदर्शन के लिए पक्षियों को पालना शुभ नहीं होता
- इससे आर्थिक स्थिति ख़राब होती है , साथ ही पारिवारिक जीवन में मुश्किलें आ जाती है
- पक्षियों को कैद से आजाद कराने से कर्ज मुक्ति मिलती है और मुकदमों से छुटकारा भी .
मछली
- मछली का सम्बन्ध चन्द्रमा और आपकी मानसिक स्थिति से होता है
- मछली पालने से घर में सुख शांति और समृद्धि आती है
- मछलियों को घर के पूर्व उत्तर के कोने में रखना चाहिए
- इनके देखभाल में बहुत सावधानी रखनी चाहिए , अन्यथा मछलियों के मरने से स्वास्थ्य की समस्याएं हो सकती हैं
- जिन लोगों को मानसिक अवसाद , तनाव या क्रोध की समस्या हो , उन्हें मछली जरूर पालनी चाहिए
पशु पक्षियों को पालने की क्या सावधानियां हैं?
- घर में जंगली प्रकृति के पशु पक्षी न पालें
- पशु पक्षियों की पूरी देखभाल करें
- उनके साथ दुर्व्यवहार बिलकुल न करें
its the answer..
Answer:
भारत विशाल देश है। इसमें पशु-पक्षी भी नाना प्रकार, रंग रूप तथा गुणों के पाए जाते हैं। कुछ बृहदाकार हैं तो कुछ सूक्ष्माकार। भारत के प्राचीन ग्रथों में पशुपक्षियों का विस्तृत वर्णन मिलता है। उस समय उनका अधिक महत्व उनके मांस के कारण था। अत: आयुर्वेदिक ग्रंथों में उनका विशेष उल्लेख मिलता है।