यदि आपने कभी किसी मेले की सैर की हो तो उसे अपने शब्दों में लिखो
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प्रस्तावना:
भारत गीतों का देश है । मेले ग्रामीण समाज को जीवंत बनाते है । मेलों के माध्यम से अनेक प्रकार की वस्तुये एक स्थान पर बिकने आती हैं और साथ ही दर्शकों मनोरंजन होता है ।
नौचंदी का मेला:
मेरठ में हर वर्ष नौचंदी का मेला होता है । यह वंसज के प्रारम्भ में होता है । यह बड़ा प्रसिद्ध मेला है । इसे देखने बड़ी संख्या में दूर-दूर के गावों से लोग आते हैं । पिछले वर्ष मैंने अपने मित्र के साथ इस मेले की सैर करने का निश्चय किया ।
मेले का वर्णन:
नौचंदी का मेला एक विशाल मैदान में लगता है । मेले में तरह-तरह की दुकानें लगी थीं । अनेक प्रकार का फंसी और सजावट के सामान की अनेक दुकानें शी । दुकानदार आवाज लगा-लगा कर अपनी वस्तुओं की ओर दर्शकों का ध्यान आदनर्षित कर रहे थे । कहीं हलवाई अपनी मिठाइयाँ बेच रहे थे, तो कहीं पानवाले थे । कुछ फेरी वाले भो इधर-उधर अपना माल बेच रहे थे ।
मेलने के मध्य में एक फतगरा लगा हुआ था, जिसमें रंगोन बिजली के बल्व लगै हुए थे । क्पृबारा बड़ा आकर्षत्रु लग रहा था । फत्वारे ते पास अनेक लोग फूल और हार बेच रहे थे । मेले के एक भाग में तरह-तरह के खिलौनों की दुकाने थी ।
यहां औरतों और बच्चों की बडी भीड थी । कुछ खिलौने बेटरी से चलने वारने थे और कुछ चाभी से चलने वाले । तरह-तरह की सीटियाँ और बारने बिक रहे थे । बच्चे इन्हें खरीदकर बजा रहे थे, जिनसे बड़ा शोर हो रहा था । मेले के एक तरफ स्त्रियो के कार की सामग्री की दुकानें थीं । कई दुकानों पर भाँति-भाँति की रगीन चूडियाँ और कड़े थे ।
कहीं नकली जेवर बिक रहे थे जिनकी चमक असली जेवरों को मात दे रहे थी । जगह-जगह जूड़े, अलता, लिपस्टिक, साबुन, डीयू आदि बिक रहे थे । हर दुकान के सामने बड़ी भीड़ लगी थी । मेले में कई दुकानें तेल और इत्र तथा सेन्ट की भी थीं ।
वहाँ से गुजरने वाले हर व्यक्ति को बुलाकर दुकानदार उसके हाथ पर जरा-सा इत्र मल देते । उसकी सुगध से प्रभावित होकर लोग कोई-न-कोई इत्र खरीद लेते । आगे बढ़ने पर हमें साड़ियों तथा अन्य कपडों की दुकाने दिखाई दीं । इन पर हर तरह का कपडा बिक रहा था । कहीं साडियों की भरमार थी, तो कहीं दरी और चादरें आदि थीं ।
मेले के एक ओर कृषि-यंत्रों की प्रदर्शनी लगी हुई थी । इसमें आधुनिक ट्रैक्टर, कई तरह के सिंचाई के काम आने वाले पम्प, नए प्रकार के हल, चारा काटने आदि की विभिन्न मशीनें थीं, जिन्हे चलते हुए दिखाया गया था । एक पण्डाल में उन्नत किस्म के बीज दिखाए गए थे । इस भाग मे बिक्री नहीं हो रही थी, बल्कि जो व्यक्ति चाहते थे, उन्हें कम्पनी का पता आदि का पैष्फलेट दे दिया जाता था ।
मेले के एक ओर मनोरंजन कक्ष था । यही बिजली से चलने वाले चक्राकार झूले, रहट, बच्चों के लिए घोडों पर बैठकर घूमने वाले चक्र थे । बड़ी संख्या मे लोग यहां अपना मनोरंजन कर रहे थे । बच्चे विशेष रूप से इस भाग में रुचि ले रहे थे । एक स्थान पर एक तन्तु में जादूगर का शो हो रहा था ।
उपसंहार:
मेले में बड़ी भीड़ थी । एक स्थान पर अखाड़ा खुदा हुआ था । वहां जोर-जोर से नगाड़ा बज रहा था । दो पहलवानो के बीच कुश्ती होने जा रही थी । हम लौग भी कुश्ती देखने के लिए खड़े हो गये । थोड़ी देर कुश्ती देखने के बाद हम लोगों ने लौटने का निश्चय किया । अपने छोटे भाइयों के लिए कुछ खिलौने खरीदकर हम मेले से बाहर आये और रिक्शा करके घर लौट आए । मेले में हमें बड़ा मजा आया ।
MARK IT BRAINLIEST
भारत गीतों का देश है । मेले ग्रामीण समाज को जीवंत बनाते है । मेलों के माध्यम से अनेक प्रकार की वस्तुये एक स्थान पर बिकने आती हैं और साथ ही दर्शकों मनोरंजन होता है ।
नौचंदी का मेला:
मेरठ में हर वर्ष नौचंदी का मेला होता है । यह वंसज के प्रारम्भ में होता है । यह बड़ा प्रसिद्ध मेला है । इसे देखने बड़ी संख्या में दूर-दूर के गावों से लोग आते हैं । पिछले वर्ष मैंने अपने मित्र के साथ इस मेले की सैर करने का निश्चय किया ।
मेले का वर्णन:
नौचंदी का मेला एक विशाल मैदान में लगता है । मेले में तरह-तरह की दुकानें लगी थीं । अनेक प्रकार का फंसी और सजावट के सामान की अनेक दुकानें शी । दुकानदार आवाज लगा-लगा कर अपनी वस्तुओं की ओर दर्शकों का ध्यान आदनर्षित कर रहे थे । कहीं हलवाई अपनी मिठाइयाँ बेच रहे थे, तो कहीं पानवाले थे । कुछ फेरी वाले भो इधर-उधर अपना माल बेच रहे थे ।
मेलने के मध्य में एक फतगरा लगा हुआ था, जिसमें रंगोन बिजली के बल्व लगै हुए थे । क्पृबारा बड़ा आकर्षत्रु लग रहा था । फत्वारे ते पास अनेक लोग फूल और हार बेच रहे थे । मेले के एक भाग में तरह-तरह के खिलौनों की दुकाने थी ।
यहां औरतों और बच्चों की बडी भीड थी । कुछ खिलौने बेटरी से चलने वारने थे और कुछ चाभी से चलने वाले । तरह-तरह की सीटियाँ और बारने बिक रहे थे । बच्चे इन्हें खरीदकर बजा रहे थे, जिनसे बड़ा शोर हो रहा था । मेले के एक तरफ स्त्रियो के कार की सामग्री की दुकानें थीं । कई दुकानों पर भाँति-भाँति की रगीन चूडियाँ और कड़े थे ।
कहीं नकली जेवर बिक रहे थे जिनकी चमक असली जेवरों को मात दे रहे थी । जगह-जगह जूड़े, अलता, लिपस्टिक, साबुन, डीयू आदि बिक रहे थे । हर दुकान के सामने बड़ी भीड़ लगी थी । मेले में कई दुकानें तेल और इत्र तथा सेन्ट की भी थीं ।
वहाँ से गुजरने वाले हर व्यक्ति को बुलाकर दुकानदार उसके हाथ पर जरा-सा इत्र मल देते । उसकी सुगध से प्रभावित होकर लोग कोई-न-कोई इत्र खरीद लेते । आगे बढ़ने पर हमें साड़ियों तथा अन्य कपडों की दुकाने दिखाई दीं । इन पर हर तरह का कपडा बिक रहा था । कहीं साडियों की भरमार थी, तो कहीं दरी और चादरें आदि थीं ।
मेले के एक ओर कृषि-यंत्रों की प्रदर्शनी लगी हुई थी । इसमें आधुनिक ट्रैक्टर, कई तरह के सिंचाई के काम आने वाले पम्प, नए प्रकार के हल, चारा काटने आदि की विभिन्न मशीनें थीं, जिन्हे चलते हुए दिखाया गया था । एक पण्डाल में उन्नत किस्म के बीज दिखाए गए थे । इस भाग मे बिक्री नहीं हो रही थी, बल्कि जो व्यक्ति चाहते थे, उन्हें कम्पनी का पता आदि का पैष्फलेट दे दिया जाता था ।
मेले के एक ओर मनोरंजन कक्ष था । यही बिजली से चलने वाले चक्राकार झूले, रहट, बच्चों के लिए घोडों पर बैठकर घूमने वाले चक्र थे । बड़ी संख्या मे लोग यहां अपना मनोरंजन कर रहे थे । बच्चे विशेष रूप से इस भाग में रुचि ले रहे थे । एक स्थान पर एक तन्तु में जादूगर का शो हो रहा था ।
उपसंहार:
मेले में बड़ी भीड़ थी । एक स्थान पर अखाड़ा खुदा हुआ था । वहां जोर-जोर से नगाड़ा बज रहा था । दो पहलवानो के बीच कुश्ती होने जा रही थी । हम लौग भी कुश्ती देखने के लिए खड़े हो गये । थोड़ी देर कुश्ती देखने के बाद हम लोगों ने लौटने का निश्चय किया । अपने छोटे भाइयों के लिए कुछ खिलौने खरीदकर हम मेले से बाहर आये और रिक्शा करके घर लौट आए । मेले में हमें बड़ा मजा आया ।
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