Hindi, asked by shreyabisen18, 4 months ago

यदि फूल नही बो सकते, तो कांटे भी मत बोओ | इस विषय पर अनुच्छेद लिखो​

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Answered by anjali975
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क्षमा, सहनशीलता और परोपकार जैसे गुण हमारी भारतीय संस्कृति के मूल अंग हैं। हमारे सभी कर्म ‘बहुजन सुखाय बहुजन हिताय’ होने चाहिए। पर-पीड़ा को पाप माना गया है-ऐसा कर्म जो हमें ईश्वर से दूर ले जाता है। यह पशुओं का स्वभाव है कि वे बदला लेते हैं। अगर सर्प को छेड़ दिया जाए तो वह डसने के लिए उद्यत हो जाएगा, कुत्ते को पत्थर मारें तो वह भौंकता हुआ काटने को दौड़ेगा, पर यह तो मनुष्य का ही गुण है कि स्वयं कष्ट सहन करके भी वह दूसरों की सहायता करता है।

हम स्वार्थ के वश होकर दूसरों को नुकसान पहुँचाने लगते हैं। अपने लाभ के लिए दूसरों का अहित करते हैं, क्योंकि हम अपने दुख से ज्यादा दूसरों के सुखों से दुखी होते हैं और उसके सुख को कम करने की चेष्टा में लग जाते हैं; प्रकृति जिस प्रकार निरंतर परहित में लगी रहती है, उसी प्रकार हमें भी दूसरों के काँटे दूर करने का प्रयास करना चाहिए। यदि ऐसा न कर सकें तो कम-से-कम उनकी परेशानियों को बढ

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