Hindi, asked by tanishk1210, 1 month ago

यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे कम-से-कम मत बोओ!
है अगम चेतना की घाटी, कमजोर बड़ा मानव का मन
ममता की शीतल छाया में होता कटुता का स्वयं शमन।
ज्वालाएँ जब घुल जाती हैं, खुल-खुल जाते हैं मुँदे नयन
होकर निर्मलता में प्रशांत, बहता प्राणों का क्षुब्ध पवन।
संकट में यदि मुसका न सको, भय से कातर हो मत रोओ
यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे कम-से-कम मत बोओ!

प्रश्न

(क) ‘फूल बोने’ और ‘काँटे बोने” का प्रतीकार्थ क्या है?
(ख) मन किन स्थितियों में अशांत होता है और कैसी स्थितियाँ उसे शांत कर देती हैं?
(ग) संकट आ पड़ने पर मनुष्य का व्यवहार कैसा होना चाहिए और क्यों?
(घ) मन में कटुता कैसे आती है और वह कैसे दूर हो जाती है?
(ङ) काव्यांश से दो मुहावरे चुनकर वाक्य-प्रयोग कीजिए।

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Answers

Answered by ltzSweetAngel
3

Answer:

प्रश्न 1.

‘काँटे कम से कम मत बोओ’ का क्या आशय है?

उत्तर:

इस पंक्ति का आशय यह है कि यदि तुमसे दूसरों की भलाई न हो सके तो कम-से-कम दूसरों के लिए मुसीबतें तो मत खड़ी करो।

प्रश्न 2.

भय से कातर होने पर मनुष्य की स्थिति कैसी हो जाती है?

उत्तर:

भय से कातर होने पर मनुष्य की स्थिति बड़ी ही दयनीय हो जाती है।

प्रश्न 3.

जीवन का सच क्या है?

उत्तर:

जीवन का सच मात्र संघर्ष है।

प्रश्न 4.

जीवन मार्ग में काँटे और कलियाँ क्या हैं?

उत्तर:

जीवन मार्ग में काँटे से अभिप्राय संकट और मुसीबतों से है तथा कलियों से अभिप्राय सुख-सम्पन्नता से है।

Explanation:

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MP Board Class 9th Hindi Navneet Solutions पद्य Chapter 9 जीवन दर्शन

October 25, 2019 by Prasanna

MP Board Class 9th Hindi Navneet Solutions पद्य Chapter 9 जीवन दर्शन

जीवन दर्शन अभ्यास

बोध प्रश्न

जीवन दर्शन अति लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.

‘काँटे कम से कम मत बोओ’ का क्या आशय है?

उत्तर:

इस पंक्ति का आशय यह है कि यदि तुमसे दूसरों की भलाई न हो सके तो कम-से-कम दूसरों के लिए मुसीबतें तो मत खड़ी करो।

प्रश्न 2.

भय से कातर होने पर मनुष्य की स्थिति कैसी हो जाती है?

उत्तर:

भय से कातर होने पर मनुष्य की स्थिति बड़ी ही दयनीय हो जाती है।

प्रश्न 3.

जीवन का सच क्या है?

उत्तर:

जीवन का सच मात्र संघर्ष है।

प्रश्न 4.

जीवन मार्ग में काँटे और कलियाँ क्या हैं?

उत्तर:

जीवन मार्ग में काँटे से अभिप्राय संकट और मुसीबतों से है तथा कलियों से अभिप्राय सुख-सम्पन्नता से है।

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जीवन दर्शन लघु उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.

कवि अंचल के अनुसार दुनिया की रीति क्या

उत्तर:

कवि अंचल के अनुसार दुनिया की रीति यह है कि यातना तो शरीर सहता है पर रोता मन है। उसी तरह इस संसार में करता कोई है और भोगता कोई है। समाज में भी प्रायः यह देखा जाता है कि सम्पन्न लोगों की गलतियों का परिणाम निरीह गरीब लोगों को भोगना पड़ता है।

प्रश्न 2.

“संकट में यदि मुस्का न सके” भय से कातर हो मत रोओ” पंक्ति में कवि क्या कहना चाहता है?

उत्तर:

इस पंक्ति में कवि यह कहना चाहता है कि मनुष्य में इतना आत्मबल नहीं है कि वह संकट में मुस्करा न सके तो उसे भय से कातर होकर रोना भी नहीं चाहिए। क्योंकि ऐसा करने से उसके व्यक्तित्व की दुर्बलता प्रकट होती है।

प्रश्न 3.

गुप्तजी ने जीवन का संदेश किसे माना है और क्यों?

उत्तर:

श्रीजगदीश गुप्त ने जीवन का यह संदेश दिया है कि मनुष्य को कुछ ऐसा करना चाहिए जिससे उसका जीवन जड़वत् न रह जाए। जीवन में चाहे कैसी भी विपत्तियाँ आएँ अथवा सुखसम्पन्नता आए, मनुष्य को अपने लक्ष्य से डिगना नहीं चाहिए। ऐसा करने वाला व्यक्ति ही अपनी मंजिल को पा सकता है।

प्रश्न 4.

गुप्ता जी ने अपने हृदय को सशक्त बनाने के लिए क्या मार्ग सुझाया है?

उत्तर:

कवि ने अपने हृदय को सशक्त बनाने के लिए निरन्तर संघर्ष का मार्ग चुनने का उपदेश दिया है। जो व्यक्ति अपने लक्ष्य को पाने के लिए निरन्तर संघर्षशील रहता है वही मनुष्य जीवन में सफलता प्राप्त करता है।

जीवन दर्शन दीर्घ उत्तरीय प्रश्न

प्रश्न 1.

“काँटे कम-से-कम मत बोओ” कविता की केन्द्रीय भावना लिखिए।

उत्तर:

इस कविता का केन्द्रीय भाव यह है कि मानव को कभी भी अपने आपको दुर्बल नहीं समझना चाहिए। हमें जीवन पूरी जिन्दादिली से जीना चाहिए। यदि हम दूसरों के जीवन में सुख के फूल नहीं उगा सकते तो कम-से-कम हमें उनके मार्ग में काँटे तो नहीं बोना चाहिए। कहने का भाव यह है कि यदि बन सके तो दूसरों का हित करो उनको दुःख मत दो।

प्रश्न 2.

‘वह जिन्दगी क्या जिन्दगी जो सिर्फ पानी सी बही’ कथन को स्पष्ट कीजिए।

उत्तर:

इस पंक्ति का आशय यह है कि मनुष्य को परिस्थितियाँ अपने अनुकूल बनाने के लिए संघर्ष करना चाहिए न कि परिस्थितियों से हार मानकर चुप बैठ जाना चाहिए। व्यक्ति को पानी के उस स्वभाव को त्याग देना चाहिए कि जिधर भी ढलान मिले उधर बह ले। मनुष्य में तो इतनी सामर्थ्य है कि वह अपना मार्ग स्वयं बना लेता है।

Answered by aryansahoo17
7

Answer:

Explanation:

यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे कम-से-कम मत बोओ!

है अगम चेतना की घाटी, कमजोर बड़ा मानव का मन

ममता की शीतल छाया में होता कटुता का स्वयं शमन।

ज्वालाएँ जब घुल जाती हैं, खुल-खुल जाते हैं मुँदे नयन

होकर निर्मलता में प्रशांत, बहता प्राणों का क्षुब्ध पवन।

संकट में यदि मुसका न सको, भय से कातर हो मत रोओ

यदि फूल नहीं बो सकते तो काँटे कम-से-कम मत बोओ!

प्रश्न

(क) ‘फूल बोने’ और ‘काँटे बोने” का प्रतीकार्थ क्या है?

(ख) मन किन स्थितियों में अशांत होता है और कैसी स्थितियाँ उसे शांत कर देती हैं?

(ग) संकट आ पड़ने पर मनुष्य का व्यवहार कैसा होना चाहिए और क्यों?

(घ) मन में कटुता कैसे आती है और वह कैसे दूर हो जाती है?

(ङ) काव्यांश से दो मुहावरे चुनकर वाक्य-प्रयोग कीजिए।

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