Hindi, asked by vashishtharishabh5, 19 days ago

यथा हि एकेन चक्रेण, न रथस्य गतिः भवेत्। एवं पुरुषकारेण विना, दैवं न सिध्यति।।​

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Answered by sangitadevi8791
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Answer:

निश्चित ही जैसे एक पहिए से रथ की गति नहीं होती अर्थात एक पहिए से रथ नहीं चल सकता, वैसे ही परिश्रम के बिना भाग्य फलीभूत नहीं होता है।

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