Hindi, asked by iishantbagde, 11 months ago

यदि इंटरनेट न होता तो निबंध हिंदी​

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Answered by krishnajoshi19
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अगर इन्टरनेट न होता, तो मुझे लगता है कि मैं खुद में बहुत ही असुरक्षित महसूस करती।

इस बात से आप कोई अन्य अर्थ न निकालें – यहाँ मेरी बात में ज़्यादा ज़ोर ‘असुरक्षित’ से अधिक ‘बहुत ही’ पर है। इसी बात को दुसरे पहलु से देखें तो इसका अर्थ यह निकलता है कि इन्टरनेट के होने कि वजह से मैं बिलकुल सुरक्षित और सहज महसूस करती हूँ।

यह वक्तव्य वास्तविकता से इतना परे है (यहाँ ‘परे’ पर ज़ोर दिया गया है) कि यह मज़ाक ही लगता है। मज़ाक भी ऐसा जिसे कहने पर हम शर्मिंदा तो होते हैं लेकिन ऐसा दिखाते हैं मानो कुछ न हुआ हो। यह कुछ ऐसा ही है जैसे आप सिगरेट पीने के लिए बाहर निकलें और दुसरे विभाग में काम करने वाले अपने किसी सहयोगी से टकरा जाएँ। आप शर्मिंदा होते हुए भी जताते हैं मानो कुछ न हुआ हो।

खैर, मैं विषय से भटक रही हूँ, हम तो इन्टरनेट के बारे में और मेरी असुरक्षा की भावना की बात कर रहे थे।

खैर दिखने में मैं एक हृष्ट-पुष्ट या कहें तो मोटी लड़की (या महिला?) हूँ, जो लोगों पर यह ज़ाहिर करती है कि मुझे अपना मोटा होना बिलकुल सामान्य लगता है और मुझे इससे कोई दिक्कत नहीं है। हाँ, बिलकुल ऐसा ही है।

ज़्यादातर मोटी लड़कियों की तरह, मेरा शारीरिक ‘विकास’ भी जल्दी हो गया था – मतलब यह कि 8 वर्ष कि उम्र तक पहुँचते-पहुँचते मैंने ब्रा पहननी शुरू कर दी थी। तब मुझे अपने आप पर और अपने शरीर पर बहुत खीज आती थी, जिसके मोटा होने कारण मुझे ऐसा करना पड़ता था। लेकिन उससे भी ज्यादा मुझे अपनी माँ पर गुस्सा आता था जो जबरदस्ती मुझे ब्रा पहनने को कहती थीं। मैं बिलकुल नहीं चाहती थी कि स्कूल में किसी को भी पता चले कि मैंने अपनी कमीज़ के नीचे क्या पहना होता था, लेकिन दुर्भाग्य से हमेशा ऐसा संभव नहीं होता था। मैं कितनी भी कोशिश करती कि किसी को पता न चले लेकिन स्कूल में अकबर बीरबल नाटक में भाग लेने के समय किसी खाली पड़े क्लासरूम में कपडे बदलते हुए अपने साथी कलाकारों से यह बात छुपा पाना बहुत कठिन हो जाता था। (मैं हमेशा ही बीरबल की भूमिका ही निभाती थी, ये भी कोई पूछने की बात है।)

तो ऐसी स्थिति में मैं वही करती थी जो कोई भी ८ साल की बहादुर लड़की कर सकती थी – मैं अपने साथियों से नज़र ही नहीं मिलाती थी और जितनी जल्दी हो सके, कपड़े बदलने की कोशिश करती थी। और जब तक वह ‘समय’ गुज़र नहीं जाता था मैं किसी से भी, किसी भी विषय पर, कोई बातचीत नहीं करती थी।

अपने दसवें जन्मदिन के अगले ही दिन, मुझ मोटी को सेनेटरी नैपकिन इस्तेमाल करने की ज़रुरत आ पड़ी।  

जब मुझे पहली बार मासिक हुआ, तो उस पूरे दिन मैं इस बात को अपनी गहरे रंग की पायजामी और गहरी नीली स्कर्ट की आड़ में छुपाने की कोशिश करती रही। मैंने अपनी चड्डी को धोकर और माँ को पता न चलने देने की कोशिश करते हुए वह पूरा दिन बिताया। मुझे नहीं पता था कि मासिक क्या होता है, लेकिन मैं यह समझती थी कि यह जो कुछ भी था, बहुत अच्छा नहीं था।

मासिक का दूसरा दिन तो मेरे लिए और भी असमंजस भरा था। सुबह उठकर बाथरूम गयी तो मेरी सफ़ेद पायजामी खून से पूरी तरह लाल हो चुकी थी। ऐसी स्थिति में मैंने वही किया जो 10 वर्ष की कोई भी लड़की करती, मैंने फैसला किया कि और कोई रास्ता ढूँढ पाने तक कुछ इंतज़ार किया जाए। मैंने जल्दी नहाने का बहाना बनाया और बाथरूम में चली गयी और वहां जैसे ही मैंने अपनी पायजामी निकाल कर जायजा लेना शुरू किया कि माँ नें बाथरूम का दरवाज़ा खटखटा दिया।

अब महिना आने तक मेरे लिए बिस्तर पर सोने की मनाही हो गयी थी और रसोई में जाने पर भी पाबंदी लग गयी थी। मुझे अब हॉल से निकल कर बाथरूम के अलावा कहीं भी नहीं जाना था।  

मुझ मोटी, शर्मिंदा, डरी हुई गुनाहगार को रोने के अलावा कुछ नहीं सूझ रहा था। लेकिन मैं रो भी नहीं सकती थी, क्योंकि हम रोती नहीं हैं, है ना? कभी नहीं।

मासिक का दर्द शुरू होने तक मैंने यही सोचा था, लेकिन दर्द भी ठीक समय पर ही शुरू हो गया।

sorry yeh mene ek site se liya kyunki mujke yeh nibanh accha laga

Answered by sruchi17maurya
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                                     यदि इंटरनेट न हो, तो ...

सेटिंग: (1) ग्रेज़ना (2) इंटरनेट क्या है?  (3) इंटरनेट की उपयोगिता (4) विभिन्न क्षेत्रों में प्रभाव (5) उपसंहार ।]

एक समय ऐसा था, जब इंटरनेट के बारे में कोई भी नहीं जानता था।  पर आज यह हालत है कि इंटरनेट के बिना हम रड ही नहीं कर सकते।  पग - पग पर लोगों को इंटरनेट के सहारे की जरूरत महसूस होती है।  आज सारा विश्व इंटरनेट के मकड़जाल में बंध गया है।  मन में जब किसी भी विषय के बारे में जानने की उत्कंठा हुई नहीं कि हाथ मोबाइल पर चला जाता है और इंटरनेट से पल भर में अपेक्षित जानकारी प्राप्त हो जाती है।

इंटरनेट वास्तव में मकड़ी के जाले की तरह होता है।  इसी प्रकार इस जाले के अनगिनत तार पूरे जाले में फैले होते हैं।  उसी तरह इंटरनेट के तार भी सर्वत्र फैले हुए होते हैं और दुनिया भर के कंप्यूटर इससे जुड़े हुए होते हैं।

इंटरनेट ने अपना कार्य - प्रणाली से लोगों को जिस प्रकार की सुविधाएं देनी शुरू की हैं, उसके बिना आज काम चलाने की कल्पना भी नहीं की जा सकती।  इंटरनेट की सबसे अधिक उपयोगिता संचार माध्यम में है।  लाखों - करोड़ों लोग फोन और मोबाइल पर इसी के माध्यम से बातचीत कर रहे हैं।  पल भर में दुनिया के किसी हिस्से में बैठे व्यक्ति से आज पल भर में बातचीत करना संभव हो गया है।  इस तरह इंटरनेट से संपूर्णचा संसार एक - दूसरे देशों से जुड़ गया है।  इंटरनेट न हो, तो यह कैसे संभव होगा!

इंटरनेट पर बटन दबाते ही किसी भी प्रकार की जानकारी प्राप्त की जा सकती है और इस जानकारी को कहीं भी भेजा जा सकता है।  इतना ही नहीं, इसके प्रति और चित्र भी प्राप्त किए जा सकते हैं।  आज इस सुविधा का लाभ कई क्षेत्रों के बौद्धिक वर्ग के लोगों और जनसंख्या सामान्य उठा रहे हैं।  यदि इंटरनेट न हो, तो इस तरह की जानकारियों को तुरंत प्राप्त करना असंभव हो जाएगा।

आज इंटरनेट व्यावसायिक क्षेत्र में लेन - भुगतान, खरीद - फरोख्त, भुगतान और बातचीत - प्रदान का मुख्य माध्यम बन गया है।  इससे बैंकों का लेन - भुगतान, पैसों का बातचीत - प्रदान कम - से - कम समय में सुविधाजनक तरीके से होने लगा है।  बैंकों के खाताधारक भी अब इस नई प्रक्रिया के मुरीद हो गए हैं।

आज घर बैठे अंधाधुंध मनोरंजन इंटरनेट के माध्यम से ही संभव से पाया गया है।  शैक्षिक, पर्यटन, स्वास्थ्य, विज्ञापन, अनेलाइन बिक्री, ज्ञान - विज्ञान, कला, खेल - कूद, संदेश लेखन, ई - बुक, संगीत - गीत, यू - ट्यूब आदि सुविधाओं और Google से उपलब्य तरह - तरह की जानकारियों हमें इंटरनेट के माध्यम।  से ही उपलब्ध हो पा रहे हैं।  यदि इंटरनेट नहीं होगा, तो यह सारा कारोबार ठप हो जाएगा।

आज इंटरनेट के होने या न होने का सवाल न इंटरनेट से आज की आवश्यकता बन गया है।  आज सारी दुनिया इंटरनेट के जाल में गुंथी हुई है।  इंटरनेट जन - जन के जीवन से जुड़ गया है।  इसके बिना किसी का काम नहीं चल सकता।

इस तरह इंटरनेट के न होने का सवाल ही नहीं उठता।  इसके विपरीत इंटरनेट से भविष्य में और भी कई विशेषताओं को प्राप्त होने की उम्मीद है।

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