यदि कोई सूरज से गप्पें लगाए तो वह क्या लिखेगा? अपनी कल्पना से गद्य या पद्य में लिखो। इसी तरह की कुछ और गप्पें निम्नलिखित से किसी एक या दो से करके लिखो । पेड़ बिजली का खंभा सड़क पेट्रोल पंप
गप्प, गप-शप, गप्पबाज़ी क्या इन शब्दों के अर्थ में अंतर है? तुम्हें क्या लगता है? लिखो।
Class 6 NCERT Hindi Chapter चाँद से थोड़ी-सी गप्पें
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सूरज से गप्पे - अरे सूरज, आप है तो बहुत सुंदर, पर आपका रंग- रूप बदलता सा क्यों रहता है? सुबह सवेरे आकाश में लटकी गोल फुटबॉल से दिखाई देते हैं। तब आपका रंग लाल दिखाई देता है पर थोड़ी ही देर के बाद किसको देख कर इतना जलने लगते हो? क्या किसी से इतनी ईर्ष्या करनी अच्छी बात होती है? शाम होते होते-होते आप फिर ठंडे हो जाते हैं। लेकिन सर्दियों व बरसातों में तुम्हारी सारी अकड़ ढीली हो जाती है। बादलों के आने पर तुम्हारा वश हम पर नहीं चलता। आपका घर कहां है? आप अवश्य ही क्षितिज से दूर किसी गहरी घाटी में छिपकर सोते होंगे।
पेड़ से गप्पे - आपके कितने लंबे हैं पेड़! यदि हमारे मोहल्ले के बच्चे एक दूसरे पर सर्कस वालों की तरह खड़े हो जाएं तो भी आप के बराबर ऊंचे नहीं हो सकते। आपका हरा-भरा रूप मन को सुकून देने वाला होता है। आपके ऊपर पक्षी अपने घोंसले बनाते हैं। क्या आपको ही अच्छा लगता है। स्वयं पर कुल्हाड़ी चलाने वाले को भी दंडित न कर अपनी कीमती लकड़ी दे उसे उपकृत ही करते हो । आप हमें देते हैं - मीठे फल , पर स्वयं नहीं खाते । पर खाओगे कैसे? आप का तो मुंह ही नहीं है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।
पेड़ से गप्पे - आपके कितने लंबे हैं पेड़! यदि हमारे मोहल्ले के बच्चे एक दूसरे पर सर्कस वालों की तरह खड़े हो जाएं तो भी आप के बराबर ऊंचे नहीं हो सकते। आपका हरा-भरा रूप मन को सुकून देने वाला होता है। आपके ऊपर पक्षी अपने घोंसले बनाते हैं। क्या आपको ही अच्छा लगता है। स्वयं पर कुल्हाड़ी चलाने वाले को भी दंडित न कर अपनी कीमती लकड़ी दे उसे उपकृत ही करते हो । आप हमें देते हैं - मीठे फल , पर स्वयं नहीं खाते । पर खाओगे कैसे? आप का तो मुंह ही नहीं है।
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सूरज से गप्पे - अरे सूरज, आप है तो बहुत सुंदर, पर आपका रंग- रूप बदलता सा क्यों रहता है? सुबह सवेरे आकाश में लटकी गोल फुटबॉल से दिखाई देते हैं। तब आपका रंग लाल दिखाई देता है पर थोड़ी ही देर के बाद किसको देख कर इतना जलने लगते हो? क्या किसी से इतनी ईर्ष्या करनी अच्छी बात होती है? शाम होते होते-होते आप फिर ठंडे हो जाते हैं। लेकिन सर्दियों व बरसातों में तुम्हारी सारी अकड़ ढीली हो जाती है। बादलों के आने पर तुम्हारा वश हम पर नहीं चलता। आपका घर कहां है? आप अवश्य ही क्षितिज से दूर किसी गहरी घाटी में छिपकर सोते होंगे।
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