यदि कोई व्यक्ति या नवयुवक अपने जीवन में लक्ष्य निर्धारित नहीं करता है, तो उस व्यक्ति के
किन-किन कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है? लिखिए
आपले
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मनुष्य एक चिंतनशील प्राणी है। वह सदा जीवन में आगे बढ़ना चाहता है। चाहे सांसारिक मनुष्य हो या संन्यासी, सभी अपने कर्मो द्वारा जीवन को सार्थक बनाना चाहते हैं। इसी कारण मनुष्य दृढ़ निश्चय, लगन और साहस से सदैव अपने कार्य में प्रयासरत रहता है। मनुष्य को किस दिशा में क्या प्रयास करना है, इसका निर्णय लक्ष्य के आधार पर होना चाहिए। तभी सुखी जीवन जीया जा सकता है।
मनुष्य का जीवन एक ऐसी धारा है, जिसे लक्ष्य निर्धारण द्वारा उचित दिशा में मोड़ा जा सकता है। लक्ष्यहीन जीवन पशु तुल्य है। यह एक चप्पू रहित नाव के समान है। एक ऐसी नाव जो भव सागर के तूफानों के थपेड़ों से चूर-चूर हो जाती है। लक्ष्यहीन मनुष्य अपना जीवन केवल खाने-पीने, सोने में ही व्यर्थ गंवा देते हैं। ऐसा व्यक्ति पृथ्वी पर भार-स्वरूप अपना जीवन निर्वहन करता है। ऐसे व्यक्ति के विषय में संस्कृत आचार्य ने लिखा है येषाम् न विद्या
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