Hindi, asked by rudraaanand2004, 5 months ago

यदि मैं गांव का सरपंच होता निबंध 100 शब्द​

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Answered by sneharani8789t
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PLEASE MARK ME AS BRAINLIEST

Explanation:

यदि मैं गांव का सरपंच होता भारत सदा से कृषि प्रधान देश रहा हैं. यहाँ की 80 प्रतिशत जनसंख्या गाँवों में निवास करती हैं. केन्द्रीय व प्रांतीय सरकारें गाँवों के सुधार के लिए अनेक योजनाएं बनाती हैं. पर उनकी योजनाओं का लाभ प्रत्येक व्यक्ति तक पहुचना कठिन होता हैं. गाँव गाँव में सम्रद्धि लाने का कार्य ग्राम पंचायत के योग्य सरपंच द्वारा ही संभव हो पाता हैं.

सरपंच बनने के बाद मेरे कार्य-यदि मुझे ग्राम पंचायत का सरपंच बनने का मौका मिलता तो गांववालों से पूछकर भलीभांति समझकर उसकी हर समस्या को दूर कर गाँव को सम्रद्धशाली बनाने का प्रयत्न करने के साथ साथ निम्नलिखित कार्य करता.

1. नियमानुसार ग्राम पंचायत की मीटिंग बुलाता. ग्राम की समस्याओं पर विचार करके वहां के स्थानीय लोगों के सहयोग से इन्हें सुलझाने की पूरी चेष्टा करता. पंचायत के मुख्य कार्य गाँव की सफाई, प्रकाश व्यवस्था, शिक्षा, भूमि के मामूली झगड़े का निवारण, स्वास्थ्य की देखभाल, गाँव के कच्चे रास्तों को पक्का करना, राहत कार्यों की देखभाल, बीज खाद वितरण व्यवस्था, खेती के रोगों की रोकथाम, तालाबों, नलकूपों की समय समय पर मरम्मत आदि को अपने सहयोगियों की मदद से अच्छी प्रकार करवाता ताकि गाँव में शीघ्र परिवर्तन दिखाई दे.

2.इन सभी कार्यों को कराने हेतु पैसे की आवश्यकता होती हैं. ग्राम पंचायत के आय के साधन हैं. मवेशियों तथा घरों पर टैक्स, वाहनों पर टैक्स, आवासीय भूमि की बिक्री, मेला का टैक्स, चारागाह टैक्स, कृषि टैक्स, मवेशी पर लगे दंड द्वारा वसूला गया टैक्स. मैं इन सभी आय के साधनों को वसूल करवाने के लिए ईमानदार कर्मचारियों की नियुक्ति करता. समय समय पर स्वयं निरिक्षण करता ताकि किसी भी स्तर पर टैक्स की चोरी न हो. इसके लिए पंचायत की रोकड़ और रिकॉर्ड अनुभवी व शिक्षित व्यक्तियों से तैयार करवाता.

3.मैं यह भी निगरानी करता कि आय से प्राप्त धन का दुरूपयोग न हो, इसकों जनता की सुविधा के लिए खर्च करने दिया जाए.

4.अपने प्यारे गांववासियों को समय समय पर यह भी बताता कि वे दहेज़ न ले, न दे, दहेज की बुराइयों को खूब विस्तार से समझाता. यह भी सलाह देता कि किसी की मृत्यु पर व्यर्थ पानी की तरह पैसा न बहाएं बल्कि इसके धन से गाँव में अस्पताल व स्कूल खुलवाएं. ताकि कोई भी रोगी साधारण उपचार हेतु शहर की ओर न जाएं तथा शिक्षा के लिए हमारें बच्चे कही अन्यत्र न जाएं. कन्याओं के लिए भी कक्षा 10 तक स्कूल खुलवाने के लिए जनता तथा सरकार का सहयोग लेने के लिए भरसक प्रयत्न करता।

उपसंहार– सरपंच के रूप में गाँवों का सम्पूर्ण विकास ही मेरा एकमात्र लक्ष्य रहता.

Answered by dhvanitrana98
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Answer:

mera lo mera Ltd us mein door gaya teri maa ka tere samne chodunga teri maa ko Nandi karke 52gaj ka loda gusedunga

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