Hindi, asked by singhanmol20084325, 10 months ago

यदि मैं जल होता पर विचारभ्यवकाती

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Answered by shishir303
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                                 यदि मैं जल होता

यदि मैं जल होता तो मैं खुशी से नहीं फूला नही समाता, क्योंकि जल का जितना महत्व है, संसार में शायद ही किसी अन्य तत्व का है। जल के बिना इस धरती पर जीवन संभव नहीं। यदि मैं जल होता तो मेरा महत्व खुद ही बढ़ गया होता। इतना महत्व और सम्मान पाकर कौन नही खुश होता।

मैं निश्छल होकर निरंतर बहता और बरसता और सभी प्राणियों की प्यास बुझाता। प्यासे जीव की प्यास बुझा कर मुझे जो आपने संतोष मिलता, मैं उस आत्मसंतोष के सुख का आनंद लेता। इस धरती पर जल मात्रा उतनी नहीं है, जितनी जल की मांग है। बहुत से क्षेत्रों में जल बड़ी कमी है, यदि मैं जल होता तो मुझे इस बात का बेहद दुख भी होता कि मैं सबके लिए सहज रूप से उपलब्ध नहीं हूँ।

यदि मैं जल होता तो मैं यह सोचता इस बात पर दुखी होता कि कुछ लोगों को मुझे पाने के लिए कितना संघर्ष करना पड़ता है। मरुस्थलीय क्षेत्र में रहने वाले कितने लोग मेरी बूंँद-बूँद के लिए तरसते हैं। खाली मरुस्थल ही नही बल्कि बड़े आम शहरों के स्लम इलाकों में रहने वाले मुझे पाने के लिये कितना संघर्ष करते हैं, इसका बात को देख कर दुख होता है।

यदि मैं जल होता तो लोगों को मुझे बचाने और मेरा विवेकपूर्ण उपयोग करने की अपेक्षा रखता ताकि मैं सबके लिये उपलब्ध हो सकूं।  

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