Hindi, asked by nishitasingh24, 1 year ago

यदि मैं प्रधानमंत्री होती-इसके बाद की पंक्तियाँ सोचकर एक अनुच्छेद लिखें

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Answered by janmayjaisolanki78
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भारत जैसे महान लोकतंत्र का प्रधानमंत्री बनना वास्तव में बहुत बड़े गर्व और गौरव की बात है, इस तथ्य से भला कौन इन्कार कर सकता है । प्रधानमंत्री बनने के लिए लम्बे और त्यापक जीवन अनुभवों का, राजनीतिक कार्यों और गतिविधियों का प्रत्यक्ष उनुभव रहना बहुत ही आवश्यक हुआ करता है ।

प्रधानमंत्री बनने के लिए जनकार्या और सेवाओं की पृष्ठभूमि रहना भी जरूरी है और इस प्रकार के व्यक्ति का अपना जीवन भी त्याग-तपस्या का आदर्श उदाहरण होना चाहिए । प्रधानमंत्री बनने के लिए व्यक्ति को चुस्त-चालाक, कूटनीतिइा, कुशल और दबाव एवं प्रहार कर सकने योग्य वाला होना भी बहुत आवश्यक माना जाता है ।

निश्चय ही मेरे पास येसारी योग्यताएँ नहीं हैं, फिर भो अक्सर मेरे मन-मस्तिष्क को यह बात मथती रहा करती है । यदि मैं प्रधानमत्री होता, तो ? यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो, सबसे पहले मेरा कर्तव्य स्वतंत्र भारत के नागरिकों के लिए विशेषकर युवा पीढ़ी के लिए, पूरी सख्ती और निष्ठुरता से काम लेकर एक राष्ट्रीय चरित्र निर्माण करने वाली शिक्षा एवं उपायों पर बल देता ।

छोटी-बडी विकास-योजनाएँ आरम्भ करने से पहले यदि हमारे अभी तक के प्रधानमंत्री राष्ट्रीय चरित्र-निर्माण की ओर ध्यान देते और उसके बाद विकास-योजनाये चालू करते तो वास्तव में उनका लाभ आस आदमी तक भी पहुच पाता ।

आज हमारी योजनायें एवं सभी सरकारी-अर्द्धसरकारी विभाग आकण्ठ निठल्लेपन और भ्रष्टाचार में डूब कर रह गए हैं एक राष्ट्रीय चरित्र होने पर इस प्रकार की सम्भावनाएँ स्वत: ही समाप्त हो जातीं । इस कारण यदि मैं प्रधानमंत्री होता तो प्राथमिक आधार पर यही कार्य करता ।

आज स्वतंत्र भारत में संविधान लागू है, उसमें बुनियादी कमी यह है कि वह देश का अल्पसंख्यक, बहुसंख्यक्, अनुसूचित जाति, जनजाति आदि के खानों में बाटने वाला तो है, उसने प्रत्येक के लिए कानून विधान भी अलग-अलग बना रखे हैं जबकि नारा समता और समानता का लगाया जाता है ।


janmayjaisolanki78: Thanks di
janmayjaisolanki78: Hi
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