Hindi, asked by amimanu888, 6 months ago

यदि मैं पेड़ होता विषय पर लगभग 100-120 शब्दों में एक लघुकथा लिखिए।

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Answers

Answered by arsh0123
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Explanation:

वन से हमें जड़ी बूटियाँ तथा सबसे अहम शुद्ध हवा मिलती है। इसके अतिरिक्त समस्य वन्य जीवों की आश्रम स्थली वन ही तो है। अतः यदि मैं भी वृक्ष होता तो समस्त जीवों के हितार्थ उपयोग में आता। मुझे मेरे नामों से तो कोई नहीं जानता लेकिन जिसके भी आँगन व बगीचे में होता उसके दिलों में राज करता।

Answered by aaradhana1610
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Answer:

एक दिन दूर कहीं जंगल में धुँआ उठता दिखाई दिया फिर आग की लपटें दिखाई दी, डर के मारे हम सभी का बुरा हाल हुआ जा रहा था। देखते-देखते आग हमारे निकट पहुँच गई थी। तेज हवा चल रही थी, मानो उसको हम पर तरस आ रहा था और वह आग को बुझाना चाहती थी पर हवा से क्या आग बुझती है? वह और तेज हो गई। इतने में इन्द्र देव की कृपा हुई और बादल बरस पड़े। आग मुझ तक पहुँचती कि वह बुझ गई। और मैं मौत के मुँह से बच गया। किन्तु इस बार भी बहुत सारे पेड़-पौधे जले। मानो जंगल में महामारी फैल गई हो। छोटे पेड़-पौधे तो लगभग सभी जल गये थे। कुछ बड़े पेड़ बच गये थे वो भी बुरी तरह झुलस गये थे। जैसे-तैसे जंगल अग्निदाह से उबर पाया, वर्षा से उनमें नई जान आ गई। कुछ दिनों बाद जंगल हरा-भरा दिखने लगा।

निर्जन वन में पक्षी के मुँह से छूटा बीज जो बहुत दिनों तक बंजर भूमि में पड़ा रहा। धीरे-धीरे हवा, नमी ऊष्मा मिली तो वह अंकुरित हुआ। छोटी-छोटी कोमल-कोमल दो पंखुड़ियाँ उग आई उस पर, जो पौधा कहलाया। वो पौधा और कोई नहीं मेरे ही बचपन का नाम है। मेरी माँ धरती है और मेरा पिता आसमान है। जब से मैंने जन्म लिया मेरी माँ और पिता ने मुझे बड़े लाड़ और प्यार से पाला कभी कोई कमी नहीं होने दी। धीरे-धीरे मैं बड़ा हुआ। मुझे अपनी जिम्मेदारियों का एहसास हुआ। आते-जाते राहगीरों को छाया करने लगा। पक्षियों को अपनी टहनियों पर घोंसले बनाने के लिये आमंत्रित किया। वर्षा में भी सहायक हुआ। भू-क्षरण रोका, प्राणियों को ऑक्सीजन प्रदान की। वायुमंडल में फैली दूषित वायु का भक्षण किया। पशुओं को चारा दिया, मनुष्यों को लकड़ी दी। अपनी जड़ों से वर्षा के जल को रोककर भूमि में हरियाली बनाये रखी, पानी के स्रोत बहाये। धरती पर अन्न की वृद्धि की। मनुष्य की सम्पन्नता बढ़ाई। वृक्ष के रूप में जन्म पाकर मैं बहुत खुश हुआ। मैं अपना जीवन धन्य मानने लगा। ईश्वर का शुक्र गुजार किया कि उसने वृक्ष के रूप में मुझे जन्म दिया। जंगल के बीच में अन्य साथियों के साथ रह रहे मेरे दिन सुख पूर्वक बीतने लगे।

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