Hindi, asked by balasahebacavhana25, 4 months ago

'यदि मेरा घर अंतरिक्ष में होता, विषय पर अस्मी से सौ शब्दों में
निबंध लेखन कीजिए।
उपयोजित लेखन​

Answers

Answered by ashwinjsiswal123
8

Answer:

यदि मेरा घर

अंतरिक्ष में होता तो.....

घर शब्द में कितना अपनापन है इस शब्द में एक सहारा ,ममता ,पर्याय और आधार है।

चाहें इस घर को भवन कहे,गृह कहे ,निवास कहे हाऊस या होम कहे ! लेकिन कुटिया हो या अट्टारी बहुमंजिली आखिर घर तो घर ही है। सबसे प्रिय !

जिस घर में जन्म से लेकरं अंत तक हमारा अटूट रिश्ता जुड जाता है । वह है घर । हमारा बचपन हमारा बुजुर्गपन ! घर में ही गुजर जाता है । वह अपना घर अपना आशियाना वह एक अलग पहचान अलग बंधन घर से जुडा रहता है।

जिस धरती से सभी का नाता है। जिस मिट्टी में जन्म लिया उसी मिट्टी में मिल जाना है।देखो ना ! हमारी माता और घर का नाता अटूट रिश्ता है ।हम कहीं भी चले जाएं तो आखिर घूम फिर कर घर ही आते हैं । ऐसे में एक कल्पना मन में आती है कि यदि मेरा घर अंतरिक्ष में होता तो.....

कितनी सुन्दर कल्पना है ।घर और अंतरिक्ष में ? कैसी दुनिया होगी वहां की ? कुछ दिनों पहले एक विज्ञापन देखा था अगर किसी को चांद पर जमीन खरीद लेना है तो वह मिलेगी ।आजकल तो हम मंगल ग्रह की बात करते हैं ,तो अंतरिक्ष में घर क्यों नहीं हो सकता ।घर निवास तो जरूर हो सकता है ।एक तैरती दुनिया अंतरिक्ष में ।

आजकल ग्लोबल वार्मिंग से वातावरण में तपन बढ़ रही है । प्रदूषण से धरती पर अनेक प्रकार की समस्याओं का सामना करना पडता है इसलिए वह दिन भी दूर नहीं जब अंतरिक्ष में मानव का बसेरा होगा ।

निराधार केवल कहीं बगैर नींव बिना कहीं टिके यह अंतरिक्ष की दुनिया होगी ।ना चांद पर ना धरती पर ।बीच में । स्पेस एज । आजकल अनेक कृत्रिम उपग्रह अवकाश में पृथ्वी की परिक्रमा कर रहे हैं । वैसे यह कृत्रिम स्पेस भी पृथ्वी की परिक्रमा करते रहेंगे । सचमूच कितना मज़ा आएगा अंतरिक्ष में अपना घर होगा तो ।

स्कूल भी अंतरिक्ष में होगा ।किसी के पास स्कूल जाने को छोटे छोटे विमान होंगे ।जिसके पास विमान नहीं होगा वह स्कूल एरोप्लेन से जाएंगे । रेल होगी मोनो एअर रेल र बसें होंगी एअर बस . स्कूल ही आसमान में हो वही शिक्षा लेंगे अवकाश भ्रमण करेंगे .हमारे साथी मित्र भी अलग ही होंगे .एक नयी सृष्टि .हम भी उसी दुनिया के हो जाएंगे .कितना मजा आएगा .समझो सबसे परे और परियों की दुनिया में होंगे.सुंदर स्वच्छ प्रदूषण रहीत कोलाहल और शोरगुल से बहुत दूर एक अंतरिक्ष में होगा अपना घर !

वहीं खेलेंगे ।सारी पाठशाला आकाश में चक्कर काटती नजर आएगी ।कभी सूरज की कडी धूप तो कभी बादलों का उमड़-घुमड़ कर आना । पानी भी बरसेगा लेकिन बहेगा कहां ?हम पानी में खेलेंगे कहां ।ना नाले होंगे न नदियां ना हरियाणा ना पेड़-पौधों होंगे । केवल चारों ओर आकाश ही आकाश अंतरिक्ष की गहराई । कीचड ना रपट ना फिसलन भरे रास्ते घर आंगन भी सुंदर और साफ-सुथरा होगा ।

घर भी अनोखा होगा ।हल्का फुल्का आकाश में तैरता कभी इधर कभी उधर अपने आप अंतरिक्ष में चक्कर काटता नजर आएगा ।घर के लोग वे भी विमान ,यान से अपना प्रयास करेंगे ।ना रास्ता होगा ना भीड़भाड़ तुरंत अपने दफ्तर में जाएंगे ।ना सिग्नल ना ट्राफिक जाम सारा कारोबार कैसे समय की पाबंदी रखता हुआ चलेगा ।

आकाश से धरती कैसे दिखेंगी ।नीचे के लोग रास्ते यातायात सारा दृश्य देखने में मजा आएगा । छोटे छोटे रास्ते नदी नाले दिखाई देंगे। जंगल केवल हरियाली दिखेंगी ।

घर तो होगा लेकिन जमीन हवा पानी वातावरण परिवेश इसे कैसे ले जाएंगे ?

मगर अंतरिक्ष में पानी अनाज खान-पान की चीजें तो कैसी होगी क्योंकि वहां तो जमिन नहीं होगी तो खेती नहीं होगी। वहां न पर्वत न सागर ना नदियां पानी कैसा बहेगा ? सारा सामान तो पृथ्वी से ले जाना पड़ेगा ।क्या यह मुमकिन है ? कल्पना तो अंतरिक्ष में उड़ाने भरने की है ।क्या वहां अगर प्राणवायु की कमी है तो हरेक के पीठ पर प्राणवायु के सिलिंडर बंधे रहे हो तो कितनी सारी तक़लिफों का सामना करना पड़ेगा ।अगर किसी की प्राणवायु ही खत्म होगी तो ? सचमूच क्या होगा ?

समझो कि अगर कोई भागते दौड़ते अंतरिक्ष से नीचे फिसलकर गिर पड़ा तो ? ऐसे ही अनेक देश के लोग भी अंतरिक्ष में रहने आए तो ? घरों की संख्या बढ़ गई प्रदूषण बढ़ गया तो ?

आखिर घर तो घर ही है। अंतरिक्ष में घर होना कल्पना के लिए ठीक है लेकिन जमीन को हम धरती माता कहते। है लेकिन आकाश को अंतरिक्ष माता कैसे कह सकते हैं ।एक कहावत है दूर के ढोल सुहावने ।दूर से सब कुछ अच्छा लगता है दूर का सारा अनाकलनीय है । लेकिन मिट्टी की लगन धरती माता का आकर्षण कुछ और ही है ।चाहे अंतरिक्ष में सोने का महल हो खाने को मिष्टान्न हो ऐषोआराम भी क्यों न हो फिर भी धरती मां की गोद में बसा हुआ हमारा घर स्वर्ग से भी प्रिय ही है ।

घर चाहे कैसा भी हो

घर चाहे जहां भी हो

लेकिन हंसने को एक कोना हो

सूरज चाहे पास हो या दूर हो

लेकिन उसे ठहरने को

थोड़ी सी जमीन हो |

here is your answer hope it will be helpful for you...

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