यदि मै सरपंच होता तो मै किं बातो का ध्यान रखता
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Explanation:
हमारे देश में प्राचीन समय से पंचायत प्रणाली प्रचलित हैं. इसमें पंच को परमेश्वर मानकर उसे आदर दिया जाता हैं. परन्तु अंग्रेजों के शासनकाल में यह व्यवस्था समाप्त हो गई थी. आजादी मिलने के बाद हमारे देश में पंचायती राज को फिर से प्रचलित किया गया. पंचायतों में अन्य सदस्य पंच कहलाते हैं. उनमें मुखिया को सरपंच कहा जाता हैं.
सरपंच का चयन- गाँव के सरपंच का चयन मतदान प्रक्रिया से होता हैं. जो आदमी योग्य तथा उस गाँव का निवासी होता हैं. या उस पंचायत क्षेत्र का मतदाता होता हैं, वह सरपंच पद के लिए उम्मीदवार बन सकता हैं. मतदान के द्वारा निश्चित समय के लिए सरपंच चयनित होता हैं. चयनित सरपंच अपनी पंचायत का प्रमुख होता हैं. सभी जन उसका सम्मान करते हैं. सरपंच के सम्मानित पद को देखकर मेरी इच्छा होती हैं कि मैं सरपंच होता तो कितना अच्छा होता.
कर्तव्यपालन- यदि मैं सरपंच होता तो मैं इन कर्तव्यों का स्वयं पालन करता.
मैं सरपंच होने के नाते सभी लोगों से समानता का व्यवहार करता, क्षेत्र या गाँव में जातिवाद, उंच नीच की भावना को कम करने की पूरी पूरी कोशिश करता.
पंचायत के क्षेत्र में विकास के लिए योजनाएं बनाता तथा जिला विकास अधिकारी से उसे अनुमोदित करवाता, फिर विकास का कार्य प्रारम्भ करने में अपनी अग्रणी भूमिका निभाता.
सरपंच होने के नाते अपने क्षेत्र या गाँव में विद्यालय और राजकीय अस्पताल खुलवाता, पीने के पानी की उचित व्यवस्था करता. साथ ही जल मल निकासी की व्यवस्था सुलभ शौचालय एवं सफाई आदि सुविधाओं का विकास करने की कोशिश करता.
असहाय निर्धन लोगों को आर्थिक सहायता दिलवाता.
सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का ईमानदारी के साथ संचालन करवाता.
दहेज प्रथा और बाल विवाह आदि पर रोक लगवाने की पूरी पूरी कोशिश करता.
उपसंहार- इस प्रकार यदि मैं सरपंच होता तो जनहित में अनेक कार्यक्रम बनाता जिससे गाँव या क्षेत्र विशेष का चहुमुखी विकास होता, समाज कल्याण के कार्यों को गति मिलती और सभी प्रसन्न और खुशहाल जीवन जीते. अतः यदि मैं सरपंच होता तो कितना अच्छा होता.