यदि प्रकृती मे सुंदर सुंदर रंग नाही होते तो
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prakruti hi NH hoti.....by my view
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ब्रह्मा ने दुनिया बनायीं जब चारो ओर देखा तो कहीं सुन्दरता नहीं नज़र आई,झरने रहे थे ,नदियाँ भी अपने रफ़्तार में थी I इस प्रकार देखने को सारे कुछ थे और दुनिया उदास थी I ब्रह्मा जी ने सोचा की क्या करूँ जो दुनिया खुबसूरत लगे I उन्होंने ध्यान लगाया तो तुरंत आम के वृक्ष के नीचे एक श्वेताम्बरा देवी प्रकट हुई जो हंस पे सवार थी ,हाथ में वीणा थे I उन्होंने कहा ब्रह्मा जी ये दुनिया इतने निःशब्द क्यूँ हैI शायद आप रंग भरना भूल गए हैं Iउन्होंने कहा पता नहीं क्या भूल हुई Iतभी तो तुम्हारा ध्यान किया है Iअब वहीँ शिला पर माता सरस्वती माँ बैठ गयी I आम्र मंजरी की खुशबु आ रही थी , माघ पंचमी का दिन था I जैसे ही माँ सरस्वती ने वीणा के सातो सुर को आँख बंद करके एक बार स्पर्श किया तो कोयल की कुहू कुहू की आवाज़ आने लगी I झरने झर-झर करने लगे ,नदियाँ कल-कल करने लगी I चिड़ियों की चहचहाने कि आवाज़ मुखरित होने लगी I सरस्वती ने खड़े होकर ब्रह्मा जी के सामने अपने हाथ जोड़े और पूछा हो गयी दुनिया सुन्दर ? और यही प्रकृति और यही प्रकृति की सुन्दरता है I प्रकृति की सुन्दरता न हो तो दुनिया नीरस हो जाएगी I प्रकृति हमे माँ का अंचल देती है अतःहमें इसकी रक्षा करनी चाहिए I
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