यदि परीक्षाए न होती निबंध
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यदि परीक्षाएं न होती तो पता कैसे चलता किसी व्यक्ति में कितनी योग्यता है और वह इस समाज के लिए काबिल भी है कि नहीं यह समाज एक सभी व्यक्तियों से बना हुआ एक स्तंभ है इस स्तंभ में सभी लोग एक दूसरे के कार्य संपादन करते हैं जब समाज को चलाने के लिए किसी व्यक्ति की जरूरत होती है तो उसका चुनाव होता है कि वह समाज चला सकता है कि नहीं उस व्यक्ति में यह काबिलियत होनी चाहिए कि समाज को समझने परखने और उसे निखारने और उन चावल बनाने की काफी सारी योग्यताएं होनी चाहिए जब वह व्यक्ति चुन लिया जाता है तो वही व्यक्ति सारे समाज की सारे संसार के किस प्रकार व्यवस्था करें अकेला व्यक्ति संपूर्ण देश में यह संपूर्ण समाज में नहीं जा सकता ना ही कुछ कर सकता तो वह कुछ व्यवस्थाएं जरूर बनाएगा व्यवस्थाओं पर कुछ अच्छे व्यक्तियों को अपने हिसाब से एडजस्ट करेगा तो वह व्यक्ति विश्वसनीय होने चाहिए तभी एक राजा का कार्य संपादन समाज के लिए सही प्रकार से हो पाएगा अतः इसलिए यह परीक्षाएं बहुत आवश्यक हो गयीं |
पुराने समय में भी व्यक्ति की परीक्षा होती थी पर वह एक समाज के सामने होती थी और उस व्यक्ति को वह परीक्षा समाज के सामने पास करनी होती थी जैसे अंगारों पर चलना आग से गुजरना बहुत बड़ी बड़ी परीक्षा होती थी तपस्या करना 14 साल के लिए बनवास गुजारना आदि आदि इसी प्रकार आज भी परीक्षाएं हो रही हैं पर उसका रूप बदल गया है लोग बदल गए हैं जनसंख्या बढ़ गई है राजा को प्रशासन चलाने के लिए लिमिटेड व्यक्तियों की आवश्यकता है और उनके लिए वह भर्ती निकालता है हर विभाग में व्यक्तियों की वह भी अच्छे व्यक्तियों की जरूरत होती है उसके लिए परीक्षाएं लेता है यदि परी्छाएं लोग सफल कर लेते हैं तो उनको हुआ अवसर मिलता है समाज की सेवा करने का |
यदि उपरोक्त बातो से स्पस्ट हुआ हो तो आप समझ ही गए होंगे कि परीक्षाएं कितनी आवश्यक हैं यदि परीक्षाएं ना हो तो हम वास्तव में अच्छे लोगों को नहीं चल पाएंगे ना ही एक अच्छा समाज खड़ा कर पाएंगे फिर बुरे और अच्छे में फर्क नहीं रहेगा फिर जानवर हम पर शासन करने लगेंगे धीरे-धीरे और इस संसार में कभी भी एक जाति की शासन नहीं रहा है कभी डायनासोरों का शासन था तो आज मानव का संसार पर शासन है यह हम पढ़ना लिखना बंद कर दें परीक्षा देना बंद कर दें तो हम कुछ नहीं कर पाएंगे एक आदिमानव की तरह जंगली जीवन गुजारने हमें पढ़ना चाहिए हमें हर परीक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए तभी हम एक अच्छे उज्जवल भविष्य को बना सकते हैं
जय हिंद
पुराने समय में भी व्यक्ति की परीक्षा होती थी पर वह एक समाज के सामने होती थी और उस व्यक्ति को वह परीक्षा समाज के सामने पास करनी होती थी जैसे अंगारों पर चलना आग से गुजरना बहुत बड़ी बड़ी परीक्षा होती थी तपस्या करना 14 साल के लिए बनवास गुजारना आदि आदि इसी प्रकार आज भी परीक्षाएं हो रही हैं पर उसका रूप बदल गया है लोग बदल गए हैं जनसंख्या बढ़ गई है राजा को प्रशासन चलाने के लिए लिमिटेड व्यक्तियों की आवश्यकता है और उनके लिए वह भर्ती निकालता है हर विभाग में व्यक्तियों की वह भी अच्छे व्यक्तियों की जरूरत होती है उसके लिए परीक्षाएं लेता है यदि परी्छाएं लोग सफल कर लेते हैं तो उनको हुआ अवसर मिलता है समाज की सेवा करने का |
यदि उपरोक्त बातो से स्पस्ट हुआ हो तो आप समझ ही गए होंगे कि परीक्षाएं कितनी आवश्यक हैं यदि परीक्षाएं ना हो तो हम वास्तव में अच्छे लोगों को नहीं चल पाएंगे ना ही एक अच्छा समाज खड़ा कर पाएंगे फिर बुरे और अच्छे में फर्क नहीं रहेगा फिर जानवर हम पर शासन करने लगेंगे धीरे-धीरे और इस संसार में कभी भी एक जाति की शासन नहीं रहा है कभी डायनासोरों का शासन था तो आज मानव का संसार पर शासन है यह हम पढ़ना लिखना बंद कर दें परीक्षा देना बंद कर दें तो हम कुछ नहीं कर पाएंगे एक आदिमानव की तरह जंगली जीवन गुजारने हमें पढ़ना चाहिए हमें हर परीक्षा के लिए तैयार रहना चाहिए तभी हम एक अच्छे उज्जवल भविष्य को बना सकते हैं
जय हिंद
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