Hindi, asked by sheikhsultan494, 1 month ago

यदि परीक्षा न होती तो,
हिंदी निबंध लेखन. ​

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Answered by priyanshusingh7838
8

Explanation:

Hindi Essays - हिंदी भाषा में हिंदी निबंध लेखन.

मुखपृष्ठEducationalयदी परीक्षा ना होती हिंदी निबंध | Yadi Pariksha Na Hoti Essay.

यदी परीक्षा ना होती हिंदी निबंध | Yadi Pariksha Na Hoti Essay.

Hostअप्रैल 14, 2020

परीक्षा देना किसे पसंद है, मुझे तो नहीं पसंद। आज ही Hindi Essays यदी परीक्षा ना होती यह हिंदी निबंध लेकर आया है। तो चलिए निबंध शुरू करते है।

This image show a boy stduying and thaking of what if there are no exams

यदी परीक्षा ना होती तो।

हम बच्चो कि कितनी मौज होती है, सुबह उठकर रोज के छोटे नियमित काम करके पाठशाला में जाना और शाम को जी भर के खेलना, फिर सोना। पर यह मौज ज्यादा दिन तक नहीं चल पाती क्योंकि बिच में आजाती है परीक्षाएं !।

दिन अच्छे से बीत रहे होते है की एक दिन अचानक हेडमास्टर की नोटिस बिजली की तरह कड़क पड़ती है। इस तारीख से लेकर इस तारीख तक परीक्षा शुरू हो रही है, सभी विद्यार्थियों से निवेदन है कि पढाई करके अच्छे गुणों से उतिर्ण हो। यह परीक्षा का नाम सुनकर कितना खुस्सा अत्ता है पर हम क्या कर सकते है।

हेडमास्टर से आई हुई इस नोटिस का हम बच्चो पर काफी बड़ा प्रभाव पड़ता है। सभी दिनचर्या बदल जाती है, परीक्षा की तारीख आंखो के सामने नाचने लगती है। वर्ग मे गुरुजी के पाठ पर पूरा लक्ष केंद्रित करना पड़ता है, पाठशाला की रोजाना होने वाली मस्ती एकदम से बंद हो जती है। ऐसा लगता है जैसे सारे विषय आंखो के सामने नाच रहें है।

गणित के नए नए उदाहरण, भूमिति के त्रिकोण, रसायन शास्त्र की प्राणवायु, अंग्रेजी के कभी ना समझ आने वाले पाठ और कभी ध्यान में ना रहने वाली इतिहास की तारीखें। यह सबकुछ पास होने केलिए याद करना पड़ता है। पूरा दिन पढ़ाई करने में बीत जाता है।

सुबह जल्दी उठकर पाठशाला में जाने तक पढ़ाई करनी पड़ती है। भीर भी खेलने नहीं मिलता, पाठशाला से आने के बाद खाना खाकर, पढ़ाई रात भर चलती है।

फिर वह परीक्षा का दिन आता है जब इतने दिनों की मेहनत सफल होती है, परीक्षा के दिनों काफी गड़बड़ होती है लेखन का सामान कभी कभी में ले जाने केलिए भूल जाता हूं और मेरी काफी गड़बड़ हो जाती है।

परीक्षा को में मन ही मन गालियां देता हूं और ऐसा ही लगता है यदी परीक्षा ना होती तो कितना अच्छा होता, हम बच्चो कि जिंदगी कितनी अच्छी हो जाएगी। पर हमारी बात सुनेगा कोन, परीक्षा तो होते ही रहेंगे और हम परीक्षा न चाहते हुए भी देते ही रहेंगे। यदि परीक्षा ना होती तो यह कल्पना एक कल्पना ही बन कर रह गई है।

समाप्त।

Answered by Anonymous
48

Answer:

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निबंध लेखन।

हम सभी उस दौर से निकले है जब परीक्षाओं के सीजन में पूरा दिन किताबों पर बैठे बैठे टेंशन में बीत जाया करता था. पास होने के लिए तथा फेल होने के डर तथा घर वालो की डांट से बचने के लिए परीक्षा में अच्छे अंकों से उतीर्ण होना हर विद्यार्थी चाहता हैं. स्कूल तथा कॉलेज में अर्द्धवार्षिक तथा वार्षिक परीक्षाओं का आयोजन होता हैं बीच बीच में परीक्षणों का भी आयोजन होता रहता हैं.यदि परीक्षा ही न होगी तो बच्चों में पढ़ाई के प्रति न भय न होगा न ही कोई आकर्षण. वह परीक्षा पास करने या अगले वर्ष में प्रवेश के सम्बन्ध में कोई चिंता नहीं करेगा. यह भारत के भविष्य तथा बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव डालेगा. यदि परीक्षा ना होती तो हमें कोई भी भय नहीं होता हर एक विद्यार्थी यह सोच कर पढ़ाई करता है कि आने वाले समय में उसकी परीक्षा हो और वह उतीर्ण हो लेकिन अगर परीक्षा ही ना होती तो उसे किसी भी तरह का भय नहीं होता और वह परीक्षा की तैयारी नहीं करता वाकई में परीक्षा का भय ही एक स्टूडेंट के लिए लाभप्रद साबित होता है.यदि परीक्षा ना हो तो बच्चें अवश्य बहुत खुश होंगे. मगर यह कोई समस्या का समाधान नहीं हो सकता, बल्कि कई समस्याओं को जन्म देनी वाली स्थिति हो सकती हैं. बच्चों को परीक्षा के तनाव से बचाने के लिए उनके पाठ्यक्रम को कम किया जा सकता हैं, प्राथमिक कक्षाओं में फेल न करने की नीति अपनाई जा सकती हैं.

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