यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तब गवईया के साथ उन
कारीगरों का व्यवहार कैसा होता?
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यदि राजा के राज्य के सभी कारीगर अपने अपने श्रम का उचित मूल्य प्राप्त कर रहे होते तो शायद वे गवईया से परीश्रमिक का चाह ही ना रखते। खुशी- खुशी मुफ्त मे ही उसकी टोपी बना देते ।
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