Hindi, asked by Anonymous, 7 months ago

यदि रक्त बूद भर भी होगा कहीं बदन में।
यदि एक भी रहेगी बाकी तरंग मन में।
हर एक साँस पर हम आगे बढ़े चलेंगे।
वह लक्ष्य सामने है पीछे नहीं टलेंगे।
नस एक भी फड़कती होगी समस्त तन में।
मंजिल बहुत बड़ी है पर शाम ढल रही है।
सरिता मुसीबतों की आग उबल रही है।
तूफ़ान उठ रहा है, प्रलयाग्नि जल रही है।
हम प्राण होम देंगे, हँसते हुए जलेंगे।
पीछे नहीं टलेंगे, आगे बढ़े चलेंगे।
अचरज नहीं कि साथी भग जाएँ छोड़ भय में।
घबराएँ क्यों, खड़े हैं भगवान जो हृदय में।
धुन ध्यान में फँसी है, विश्वास है विजय में।
बस और चाहिए क्या, दम एकदम न लेंगे।
जब तक पहुँच न लेंगे, आगे बढ़े चलेंगे।
-रामनरेश मिली​

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Answered by Anonymous
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अति सुंदर कितनी ओजस्वी कविता मानुष शायद पहले कभी ही पड़ी होगी इसे यहां पर शेयर करने के लिए आपका बहुत-बहुत धन्यवाद

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