History, asked by poojayadavlokes889, 8 months ago

यदि तराइन के द्वितीय युद्ध में पृथ्वीराज चौहान के स्थान पर आप होते तो किन त्रुटियों से बचने का प्रयास करते?

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Answered by shishir303
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कोई भी दुश्मन अगर हम पर आक्रमण कर दे तो हमें एक ठोस रणनीति बनाने की जरूरत होती है ताकि दुश्मन का डट मुकाबला कर सकें। दुश्मन को हराने के लिए ताकत और सैन्य बल से अधिक विशेष रणनीति की अधिक आवश्यकता होती है।  पृथ्वीराज चौहान ने द्वितीय तराइन के युद्ध में कुछ गलतियां की जिसके कारण उसकी हार हुई और हिंदुस्तान का इतिहास ही बदल गया।

अगर हम पृथ्वीराज की जगह होते दो उसके द्वारा की गई कई गलतियों को नहीं करते, जैसे कि....

जब पृथ्वीराज जब तराइन का पहला युद्ध हुआ और पृथ्वीराज चौहान ने मोहम्मद गोरी को हरा दिया तो गोरी हार कर भागने लगा। तब पृथ्वीराज ने उसका कुछ दूर तक ही पीछा किया और उसे भागकर जाने दिया। यदि पृथ्वीराज उसका बहुत दूर तक पीछा करके उसको पकड़ कर मार देता तो गोरी दोबारा आक्रमण करने नहीं आता और पृथ्वीराज का अपने दुश्मन से सदैव के लिए पीछा छूट जाता। लेकिन पृथ्वीराज ने ऐसा नहीं किया जिसके कारण मोहम्मद गोरी दोबारा से नए जोश-खरोश से पृथ्वीराज पर आक्रमण करने के लिए आ गया।

चलो, मोहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज पर आक्रमण कर दिया। अगर हम उसकी जगह पृथ्वीराज की जगह होते तो हम यह समझ जाते कि दुश्मन दोबारा आया है तो कोई विशेष तैयारी करके आए होगा और उससे मुकाबले के लिए विशेष रणनीति की जरूरत है। जहां पृथ्वीराज ने केवल दुश्मन के सैन्य बल को ही आंका, उसकी रणनीति पर ध्यान नहीं दिया और अपने बचाव के लिए और दुश्मन पर आक्रमण के लिए कोई विशेष रणनीति नहीं बनाई। वहीं मोहम्मद गौरी एक रणनीति बनाकर आया था, उसी रणनीति के तहत उसने पृथ्वीराज की सेना को चारों तरफ से घेर लिया।

हम अगर पृथ्वीराज की जगह होते तो सबसे पहले मोहम्मद गौरी की रणनीति को समझने का प्रयत्न करते और उसी के अनुसार अपनी रणनीति बनाते। माना कि राजपूत बहुत वीर होते थे, और अपनी आन बान की रक्षा के लिये अपनी जान पर खेल जाते थे, लेकिन केवल वीरता या बहादुरी से ही युद्ध नहीं जीता जाता बल्कि विशेष रणनीति के तहत युद्ध जीता जा सकता है। मोहम्मद गौरी ने यही किया और पृथ्वीराज ने यह करने में चूक कर दी, इसके कारण उसकी हार हुई।

हम पृथ्वीाराज की जगह होते तो अपने आसपास के राजपूत राज्यों से मित्रता करके संगठित होते ताकि बाहरी दुश्मन के मिलकर हरा सकें, पृथ्वीराज ने यहाँ भी चूक कर दी और अन्य राजपूत राजाओं को संगठित नही कर सका, जिसके कारण मोहम्मद गोरी बाहरी होते हुए भी उसको हराने में कामयाब हो गया।

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