यथा विहाय और अन्य आणि इन शब्दों का अर्थ लिखिए
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यथा विहाय:-
वासांसि जीर्णानि यथा विहाय नवानि गृह्णाति नरोऽपराणि । तथा शरीराणि विहाय जीर्णा- न्यन्यानि संयाति नवानि देही ॥ भावार्थ : जैसे मनुष्य पुराने वस्त्रों को त्यागकर दूसरे नए वस्त्रों को ग्रहण करता है, वैसे ही जीवात्मा पुराने शरीरों को त्यागकर दूसरे नए शरीरों को प्राप्त होता है॥
आणि
- स्त्रीलिंग
- तलवार की धार।
- पहिये की धुरी की कील।
koi baat noi ^-^
kaiche ho aap ?
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Explanation:
किसी भी भाषा के वे शब्द अव्यय (Indeclinable या inflexible) कहलाते हैं जिनके रूप में लिंग, वचन, पुरुष, कारक, काल इत्यादि के कारण कोई विकार उत्पत्र नहीं होता।
haan but aadhe seh zaada frndz chale ɡaye :(
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