यथायोग्य व्यवहार किस समाज की शिक्षा है ?
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➲ यथायोग्य व्यवहार आर्य समाज की शिक्षा है।
✎... यथायोग्य व्यवहार का अर्थ है, कि सबसे प्रेम और धर्म अर्थात उसके गुण-दोष के अनुसार व्यवहार करना चाहिये।
अर्थात इसका सीधा सामान्य मतलब है कि जैसे के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए, यानी यदि हम पर कोई उपकार करता है तो उसके प्रति में हमें उपकार करना चाहिए। कोई हिंसा करता है तो उसके प्रति अपने बचाव में समान हिंसाचार करना उचित है। जो हिंसा के द्वारा हमारा नाश करने पर उतारू हो तो उसके साथ मीठी वाणी में बात नही की जा सकती बल्कि उसके साथ प्रतिहिंसा द्वारा अपनी रक्षा करना सर्वथा उचित है। दुष्टों के साथ कठोर व्यवहार और सज्जनों के साथ विनम्र व्यवहार करना चाहिए।
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