। यद्यपि बाह्य
रूप की दृष्टि से संस्कृति के ये बाहरी लक्षण अनेक
दिखायी पड़ते हैं, किन्तु आंतरिक आनन्द की दृष्टि से
उनमें एक सूत्रता है । जो व्यक्ति सहदय है, वह प्रत्येक
संस्कृति के आनंद पक्ष को स्वीकार करता है और
उससे आनंदित होता है ।इस का सरांस बताओ
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प्रश्न 1.
वासुदेवशरण अग्रवाल का संक्षिप्त जीवन-परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए। [2009, 10, 11]
या
वासुदेवशरण अग्रवाल का साहित्यिक परिचय देते हुए उनकी कृतियों पर प्रकाश डालिए। [2012, 13, 14, 15, 16, 17, 18]
उत्तर
जीवन-परिचय-डॉ० अग्रवाल का जन्म सन् 1904 ई० में मेरठ जनपद के खेड़ा ग्राम में हुआ था। इनके माता-पिता लखनऊ में रहते थे; अत: इनका बचपन लखनऊ में व्यतीत हुआ और यहीं इनकी प्रारम्भिक शिक्षा भी हुई। इन्होंने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से एम०ए० तथा लखनऊ विश्वविद्यालय से ‘पाणिनिकालीन भारत’ नामक शोध-प्रबन्ध पर डी०लिट्० की उपाधि प्राप्त की।
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