Hindi, asked by sy9928819, 7 months ago

"यद्यपि चन्दनविटपो विधिना फलकुसुमविवर्जितो विहितः ।
निजवपुव परेषा तथापि सन्तापमहरति​

Answers

Answered by shishir303
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इस श्लोक अर्थ इस प्रकार है....

अर्थ : हालांकि ईश्वर ने चंदन के वृक्ष को फल एवं फूलों से रहित बनाया है। अर्थात चंदन पर ना ही कोई फल लगता है और ना ही कोई फूल लगता है, उसके बावजूद वह अपने शरीर की सुगंध से दूसरों के दुखों का हरण कर लेता है।  

श्लोक की व्याख्या ▬ भले ही चंदन के पेड़ को भगवान ने फल और फूलों से वंचित कर दिया हो, भले ही उसे इन गुणों से नहीं विभूषित नही किया हो, लेकिन चंदन का सबसे बड़ा गुण उसका स्वभाव है और वह अपने शरीर की महक से हर किसी के मन को सुगंधित कर देता है। जिससे उसे किसी भी फल या फूल की आवश्यकता नहीं पड़ती और फल और फूल ना होने के बावजूद वह हर किसी को अपनी पवित्र सुगंध के कारण प्रिय होता है।  

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