Hindi, asked by usaimqazi554, 3 months ago

यदद मैंन बोलता तो चोर पकडे न जाते (लमश्र से सरल)​

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Answered by shia07
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Answer:

मधुर वचन वह रसायन ह जी पारस का भाति लाह का साना बना देता है। मनुष्य का

बात ही क्या, पशु-पक्षी भी उसके वश में हों, उसके साथ मित्रवत् व्यवहार करने लगते

हैं। व्यक्ति का मधुर व्यवहार पाषाण-हृदयों को भी पिघला देता है। कहा भी गया है

"तुलसी मीठे बचन ते, जग अपनो करि लेत' ।

निस्सन्देह मीठे वचन औषधि की भाति श्रोता के मन की व्यथा, उसकी पीड़ा व वेदना को

हर लेते हैं। मीठे वचन सभी को प्रिय लगते हैं। कभी-कभी किसी मृदुभाषी के मधुर वचन

घोर निराशा में डूबे व्यक्ति को आशा की किरण दिखा उसे उबार लेते हैं, उसमें

जीवन-संचार कर देते हैं उसे सान्त्वना और सहयोग देकर यह आश्वासन देते हैं कि वह

व्यक्ति अकेला व असहाय नहीं, अपितु सारा समाज उसका अपना है, उसके सुख-दुख

का साथी है। किसी ने सच कहा है

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"मधुर वचन हैं औषधि, कटुक वचन हैं तीर।"

मधुर वचन श्रोता को ही नहीं, बोलने वाले को भी शांति और सुख देते है। बोलने वाले

के मन का अहंकार और दभ सहज ही विनष्ट हो जाता है। उसका मन स्वच्छ और

निर्मल बन जाता है। वह अपनी विनम्रता, शिष्टता एवं सदाचार से समाज में यश, प्रतिष्ठा

और मान-सम्मान को प्राप्त करता है। उसके कार्यों से ही नहीं, समाज को भी गौरव और

यश प्राप्त होता है और समाज का अभ्युत्थान होता है। इसके अभाव में समाज पारस्परिक

कलह, ईर्ष्या-द्वेष, वैमनस्य आदि का घर बन जाता है। जिस समाज में सौहार्द नहीं,

सहानुभूति नहीं, किसी दुखी मन के लिए सान्त्वना का भाव नहीं, वह समाज कैसा? वह

तो नरक है।मधुर वचन निराशा में डूबे व्यक्ति की सहायता कैसे करते हैं

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