Hindi, asked by Piyushisingh, 1 year ago

Yatra ek uttam ruchi hai nibandh

Answers

Answered by NitinSehrawat
3

बेकन के अनुसार बचपन में यात्रा करना शिक्षा का एक भाग है, एवं बड़े होने पर यह अनुभव का एक भाग है । कुछ लोग अलग तरह से भी सोचते हैं उनके लिये चर्च एवं मठों में जाना, महल एवं किलों में जाना पुरातन एवं खंडहरों में एवं पुस्तकालय एवं विश्वविद्यालयों में जाना केवल समय ही बरबादी है ।

वह यह भी कहते हैं कि व्यक्ति इनके बारे में पढ़ सकता हैं अथवा तस्वीरें देख सकता है जिनमें विश्व की महत्वपूर्ण जगहों को देखा जा सकता है । किन्तु वह भूल जाते हैं कि सत्य को पास से देखने उसे छूने एवं महसूस करने से एक अलग प्रकार की सन्तुष्टि एवं रोमांच की अनुभूति होती है ।

यात्रा करना एक महंगा शौक है किन्तु यह वित्तीय घाटे की भरपाई करता है । अगर एक यात्री को जीवन में एवं इसके आविर्भाव में रुचि है तो वह अपने को व्यस्त एवं प्रसन्न रखने के लिये बहुत सी खोज कर सकता है ।

समाजशास्त्र का एक विद्यार्थी विश्व के विभिन्न हिस्सों में रहने वाले लोगों के रीतिरिवाजों एवं धर्मिक अनुष्ठानों से बहुत कुछ प्राप्त कर सकता है । इतिहास का एक विद्यार्थी ऐतिहासिक स्मारकों से इतिहास का जीवत ज्ञान प्राप्त कर सकता है ।

एक इन्जीनियर वास्तुशिल्प की विभिन्न इमारतों को देख कर अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकता है । वास्तव में यात्रा से व्यक्ति हर चीज पा सकता है जो उसके ऐन्द्रिय एवं बौद्धिक ललक को सन्तुष्ट करती है । यात्रा का शौक होने पर हम अपने खाली समय में व्यस्त रहते है ।

Similar questions