yeah janambhumi meri kavita ka saransh likhiye in hindi
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व्याख्या - प्रस्तुत पंक्तियों में कवि सोहनलाल द्विवेदी जी ने अपने मातृभूमि की प्रसंशा करते हुए ,भारत देश की महानता का गुणगान किया है . कवि कहता है कि भारत की उत्तर दिशा में हिमालय पर्वत है . उसकी ऊँचाई आसमान को चूमता है . भारत के दक्षिण में हिन्द महासागर है ,उसे देखकर ऐसा लगता है जैसे यह चरणों को निरंतर चुप रहा है .
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