Science, asked by Anonymous, 6 months ago

yeh right hai???????????????????​

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Answered by meenapaul007
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Answer:

yes, I think it is right because i have listened the same..n❤️❤️❤️

Answered by jyotigupta64
2

Explanation:

आजादी की तारीखें आर्धशताब्दी पूरी कर आगे बढ़ चुकी हैं, आजादी के दीवानों की कहानियां कितनों की जबानी और कितनों की जिन्दगानी बन चुकी हैं। आजादी के इन वीर योद्धाओं में दीवानों की तरह मंजिल पा लेने का हौसला तो था, लेकिन बर्बादियों का खौफ न था। रोटियां भी मयस्सर न हों लेकिन परवाह न था, दीवानों की तरह ये आजादी के दीवाने भी, मंजिलों की तरफ बढ़ते चले गये, बड़े से बड़े जुल्मों सितम भी उनके कदमों को न रोक सके, कोई ऐसी बाधा न हुई, जिसने उनके सामने घुटने न टेक दिए। अपने हौसलों से हर मुश्किल का सीना चिरते हुए आजादी की मंजिल की तरफ बढ़ते ही चले गये। न हिसाब है, न कीमत है उनकी कुर्बानियों का, सँभाल कर रख सकें उनके जिगर के टुकड़े आजादी को सही सलामत, यही कीमत हो सकती है उनकी मेहरबानियों का। हम आजाद हुए, कितना कुछ बदल गया, खुली हवा में साँस तो ले सकते हैं, दो वक्त की रोटियां तो मिल जाती हैं, बेगार के एवज में किसी के लात घुंसे तो नहीं खाने पड़ते हैं, बहुत कुछ बदल गया। कम से कम अपने मौलिक अधिकारों के अधिकारी तो हैं, मुँह से एक शब्द लिकालना गुनाह तो नहीं है। अच्छा है हम आजाद हैं, और भी आच्छा होगा यदि हम आजाद रहें, उससे भी अच्छा होगा यदि हम दूसरों को आजाद कर सकें, गरीबी, भ्रष्टाचार, अज्ञानता और अंधविश्वास की गुलामी से। इंसानों के बंधनों से आजाद हो गये, मन के कुसंस्कारों के बन्धन से आजाद हों तो पूरा आजादी मिलेगी। दूसरों से लड़कर उनके बन्धन से तो आजाद हो गये, स्वयं के अन्दर व्याप्त कुसंस्कारों से लड़कर कितने लोग आजाद हो पाते हैं यह तो वक्त ही जानता है। आजादी एक दिन में नहीं मिली, शताब्दियां लग गयीं, इन बातों को भी समझने में वक्त लगेगा। एक विद्यार्थी को किसी संस्था के माध्यम से स्नातक होने में कम

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