Yog bhagaye Rog par nibandh
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‘जिसे मृत्यु छीन ले वह सब ‘पर’ है, जिसे मृत्यु भी छीन न पाए, वह ‘स्व’ है। इस ‘स्व’ में जो स्थिति है, सिर्फ वही स्वस्थ है, बाकी सब अस्वस्थ।’ जिन्हें मन के रहस्य के जानने के लिए स्वस्थ शरीर चाहिए उनके शरीर को अच्छा और दीर्घायु देने में यह पुस्तक पूर्ण समर्थ है। इस कृति में विभिन्न आसनों को सरल भाषा तथा रोचक शैली में आकर्षक चित्रों के माध्यमों से समझाया गया है। उपयोगिता एवं जानकारी की दृष्टि से यह अति महत्त्वपूर्ण एवं संग्रहणीय कृति है।
योग-जगत के अति श्रद्धास्पद अधिकारी गुरु के रूप में प्रख्यात स्वामी अक्षय आत्मानंद द्वारा योगासन, प्राणायाम, अध्यात्म विज्ञान, सम्मोहन विज्ञान और चिकित्सा विज्ञान आदि पर अत्यन्त सरल-सुबोध भाषा एवं तार्किक शैली में अति रोचक एवं महत्त्वपूर्ण ग्रन्थों की रचना की गई है। स्वामी जी का साहित्य इतना लोकप्रिय हुआ है कि उनके ग्रन्थों के कई-कई संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं।
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