Hindi, asked by kesarwania034, 8 months ago

yog dwara rog pratirodhak shakti vikas kaise hota hai​

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Answered by shishir303
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रोग प्रतिरोधक शक्ति के विकास के लिए अर्थात उसके मजबूत होने के लिए हमारे शरीर को आंतरिक और बाह्य दोनों तरह से स्वस्थ होना आवश्यक है। जब शरीर के अंदर किसी भी तरह के विजातीय और विषैले तत्व जमा नहीं होंगे, नियमित रूप से निकलते रहेंगे तो शरीर आंतरिक रुप से स्वस्थ रहेगा। शरीर के अंदरूनी अंग बेहतर कार्य कर सकेंगे और रोग प्रतिरोधक शक्ति का विकास होगा।

योग यही कार्य करता है। योग द्वारा योग के अंगों के माध्यम से जैसे कि यम, नियम, प्राणायाम, आसन, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान और समाधि के द्वारा शरीर की आंतरिक और बाह्य शुद्धि पूर्ण रूप से हो जाती है।

यम और नियम के द्वारा हम अपनी दिनचर्या को सुव्यवस्थित करते हैं, तो प्राणायाम के माध्यम से हम अपनी सांसो पर नियंत्रण स्थापित करके अपने अंदर प्राणशक्ति रूपी प्राण ऊर्जा को संचित करते हैं।आसन के द्वारा हम अपने शरीर के सभी अंगों को स्वस्थ और सुचारू रखते हैं। ध्यान, धारणा, समाधि के द्वारा हम अपने मन पर नियंत्रण स्थापित करते हैं और मानसिक रूप से सबल बनते हैं। यह सभी यौगिक क्रियाओं के द्वारा हमारा शरीर आंतरिक एवं बाह्य रूप से स्वस्थ होता है और हमारे शरीर की रोग प्रतिरक्षण प्रणाली मजबूत होती है। इसलिए योग के द्वारा रोग प्रतिरोधक शक्ति का विकास होता है।

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योग से संबंधित कुछ प्रश्न....▼

10. योग की आत्मा किसको कहा जाता है ?

a) आसन को

b) नियम को

c) प्राणायाम को

d) कुंभक को​

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