History, asked by johntirkey734014, 8 months ago

young bengal movement aur ishke karyakalpon ko likhen. 200 se 250 sabdon mein likhna hai.​

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Answer:

The Young Bengal was a group of Bengali free thinkers emerging from Hindu College, Calcutta. They were also known as Derozians, after their firebrand teacher at Hindu College, Henry Louis Vivian Derozio.[1]

The Young Bengals were inspired and excited by the spirit of free thought and revolt against the existing social and religious structure of Hindu society. A number of Derozians were attracted to the Brahmo Samaj movement much later in life when they had lost their youthful fire and excitement. As one scholar characterized it:

"The Young Bengal movement was like a mighty storm that tried to sweep away everything before it. It was a storm that lashed society with violence causing some good, and perhaps naturally, some discomfort and distress."

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Explanation:

1826 में हेनरी लुई विवियन देरीजियो(Henry Louis Vivian Derecio) नामक व्यक्ति की इस कॉलेज में शिक्षक के रूप में नियुक्ति हुई, जिसने हिन्दू कॉलेज को जन-जागरण का केन्द्र बना दिया। देरीजियो एक स्वतंत्र विचारक था तथा 19वी. शता. की उदारवादी विचारधारा से बङा प्रभावित था। अतः वह एक ऐसा वातावरण उत्पन्न करना चाहता था जिसमें भारतीयों की राजनीति में रुचि उत्पन्न हो। अतः उसने कॉलेज के मेधावी धात्रों से निकट संपर्क स्थापित करके उन्हें यूरोप के राजनीतिक विचारकों की विचारधाराओं से परिचित कराया। अमृतलाल मित्र,कृष्णमोहन बनर्जी,रसिककृष्ण मल्लिक, दक्षिणारंजन मुखर्जी, रामगोपाल घोष आदि अनेक जागरूक एवं मेधावी छात्र उसके निकट संपर्क में थे। देरीजियो और इन मेधावी छात्रों की विचारगोष्ठियाँ आयोजित होती थी, जिनमें धर्म, राजनीति, नैतिकता और भारतीय इतिहास पर विचार-विमर्श होता था। अतः जो छात्र देरीजियो के संपर्क में आये, उन्होंने बंगाल में एक नया जागरुक वर्ग पैदा किया, जिसे युवा बंगाल (Young Bengal) कहा जाता था। युवा बंगाल के सदस्य अंधविश्वासों तथा भारतीय सामाजिक कुरीतियों के कटु आलोचक थे और सुधारों के प्रबल पक्षपाती थे। उन्होंने बंगाल में एक आंदोलन शुरू किया, जिसे युवा बंगाल आंदोलन कहा जाता है।

एकेडेमिक एसोसियेशन क्या था

देरीजियो के विचारों से प्रभावित होकर युवा बंगाल सदस्यों ने 1828 में एकेडेमिक एसोसियेशन की स्थापना की तथा देरीजियो इसका अध्यक्ष बना। इस एसोसियशन के तत्त्वाधान में समय-2पर सभाएँ होती थी, जहाँ सभी विषयों पर बहस होती थी और विचारों का आदान-प्रदान होता था। इस प्रकार की विचार-गोष्ठियों के केवल हिन्दू कॉलेज के छात्र ही नहीं वरन् कलकत्ता के शिक्षित और जागरूक लोग भी भाग लेते थे। देरीजियो और उसके ऐसोसियशन ने सुप्त भारतीयों को झकझोर दिया। छात्रों में आत्मविश्वास की भावना उत्पन्न हुई और वे अब प्राचीन मान्यताओं की आलोचना करने लगे थे।

अतः पुरातनपंथी भारतीयों ने इस एसोसियशन के विरुद्ध आवाज उठाई। अनेक अभिभावकों ने अपने लङकों को हिन्दू कॉलेज से वापिस बुला लिया। इस पर कॉलेज की मैनेजिंग कमेटी ने आदेश प्रसासरित किया कि कॉलेज का कोई छात्र इस एसोसियशन से किसी प्रकार का संबंध न रखे। मैनेजिंग कमेटी ने देरीजियो को कॉलेज से निकालने का भी निर्णय ले लिया। अतः मार्च,1831 में देरीजियो ने स्वयं पदत्याग कर दिया और इसके कुछ ही दिनों बाद उसकी

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