yuva pidhi par mobile phone ka parbhav. 100-150 words in hindi only.
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एक ताजा अध्ययन के मुताबिक, 16 से 18 साल की उम्र के युवाओं में स्मार्टफोन की तादाद में पिछले साल के मुकाबले चार गुना से भी ज्यादा वृद्धि हुई है और यह पांच से बढ़ कर 22 फीसदी तक पहुंच गया है. महानगरों में ऐसे फोन की पहुंच तेजी से बढ़ी है. इनमें 23 फीसदी लोग स्मार्टफोन का इस्तेमाल करते हैं. इसी दौरान दूसरे और तीसरे दर्जे के शहरों में ऐसे फोन का इस्तेमाल करने वालों की तादाद दोगुनी से ज्यादा बढ़ी है.
आखिर स्मार्टफोन के प्रति युवा वर्ग में बढ़ते आकर्षण की वजह क्या है? इस सवल का जवाब देते हैं नीलसन इंडिया के प्रबंध निदेशक प्रशांत सिंह. वह कहते हैं, "ऊंची कीमतों की वजह से अब तक ऐसे फोन खरीदना मुश्किल था. लेकिन अब बाजारों में पांच से छह हजार रुपए में कई स्मार्टफोन उपलब्ध हैं. युवा पीढ़ी अपने घरवालों को इतनी रकम खर्च करने के लिए आसानी से तैयार कर लेती है." वह कहते हैं कि अब ऐसे लोग भी आसानी से स्मार्टफोन खरीद रहे हैं जो पिछले साल तक इस बारे में सोच भी नहीं सकते थे. इसके अलावा गाने सुनने, वीडियो देखने, गेम खेलने, फोटो खींच कर उसे शेयर करने और मैसेजिंग के नए-नए एप्स की वजह से युवाओं में ऐसे फोन का क्रेज लगातार बढ़ रहा है.
मौजूदा परिस्थिति में स्मार्टफोनों के प्रति बढ़ता आकर्षण मोबाइल निर्माता कंपनियों की झोली भले भर रहा हो, भावी पीढ़ी के लिए तो यह खतरे की घंटी ही है. लेकिन इसे रोकने का न तो कोई साधन है और न ही किसी को इस बारे में सोचने की फुर्सत. समाजशास्त्रियों का कहना है कि विभिन्न स्तरों पर जागरुकता अभियान चला कर युवा पीढ़ी और अभिभावकों को सचेत करने के अलावा इस समस्या से निपटने का दूसरा कोई विकल्प नहीं है....
HOPE that it will help you...
आखिर स्मार्टफोन के प्रति युवा वर्ग में बढ़ते आकर्षण की वजह क्या है? इस सवल का जवाब देते हैं नीलसन इंडिया के प्रबंध निदेशक प्रशांत सिंह. वह कहते हैं, "ऊंची कीमतों की वजह से अब तक ऐसे फोन खरीदना मुश्किल था. लेकिन अब बाजारों में पांच से छह हजार रुपए में कई स्मार्टफोन उपलब्ध हैं. युवा पीढ़ी अपने घरवालों को इतनी रकम खर्च करने के लिए आसानी से तैयार कर लेती है." वह कहते हैं कि अब ऐसे लोग भी आसानी से स्मार्टफोन खरीद रहे हैं जो पिछले साल तक इस बारे में सोच भी नहीं सकते थे. इसके अलावा गाने सुनने, वीडियो देखने, गेम खेलने, फोटो खींच कर उसे शेयर करने और मैसेजिंग के नए-नए एप्स की वजह से युवाओं में ऐसे फोन का क्रेज लगातार बढ़ रहा है.
मौजूदा परिस्थिति में स्मार्टफोनों के प्रति बढ़ता आकर्षण मोबाइल निर्माता कंपनियों की झोली भले भर रहा हो, भावी पीढ़ी के लिए तो यह खतरे की घंटी ही है. लेकिन इसे रोकने का न तो कोई साधन है और न ही किसी को इस बारे में सोचने की फुर्सत. समाजशास्त्रियों का कहना है कि विभिन्न स्तरों पर जागरुकता अभियान चला कर युवा पीढ़ी और अभिभावकों को सचेत करने के अलावा इस समस्या से निपटने का दूसरा कोई विकल्प नहीं है....
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lakshay172u172:
bothe the answer were wrong
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