Hindi, asked by aryandhingra30, 9 months ago

zindaginama by krishna sobti summary of characters

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Answered by bhatiamona
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Answer:

ज़िन्दगीनामा’ कृष्णा सोबती जी की क़लम से उतरा यह एक ऐसा उपन्यास है जो सचमुच ज़िन्दगी का पर्याय है |

ज़िन्दगीनामा’ एक ऐसा दिलचस्प उपन्यास है जिसमें न कोई नायक है और न खलनायक। इसमें पंजाब का एक गाँव है जिसमें रहते हैं ज़िन्दादिल, जाँबाज़ लोग...‘ज़िन्दगीनामा’ की कहानी इन्हीं लोगों के साथ बहती है और इन लोगों के साथ ही खेत-खलिहानों, पर्व-त्योहारों, लड़ाई-झगड़ों से गुज़रते हुए सूदखोर, साहूकारों और ग़रीब किसानों के दिलों का जायज़ा लेती है |

‘ज़िन्दगीनामा’ के पन्नों में आपको बादशाह और फ़क़ीर, शहंशाह, दरवेश और किसान एक साथ खेतों की मुँडे़रों पर खड़े मिलेंगे। ‘

इस उपन्यास में सोबती जी ने पात्रों के चरित्र निरूपण के लिए चरित्र-सृष्टि न करके, पंजाबी सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश के चित्रण द्वारा चरित्र-सृष्टि की है। इस कारण से डेरा जट्टा गांव ही प्रतीकात्मक चरित्र बन गया है। उन्होंने पंजाब की सांझा संस्कृति, पारिवारिक-सामाजिक-मानवीय संबंधों, आपसी प्रेम, पारस्परिक राग-विराग को ही चरित्र के रूप में उकेरा है। परिवेश के यथार्थ और जीवंत चित्रण के लिए भाषा का उन्होंने सृजनात्मक उपयोग किया है। लोहड़ी, बैशाखी, शादी-ब्याह, मेले-त्योहारों आदि के माध्यम से लोकजीवन की विविध झांकियों को प्रस्तुत किया गया है। इस उपन्यास में शुरू से अंत तक मानवीय नियति के संबंध में एक गहरा और बुनियादी सरोकार का समावेश है।  

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