0.03 નોર્મલ સાંદ્રતા ધરાવતા naoh દ્રાવણ ની poh________ છે.
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धभएधतभणद दोस्त बनकर भी वो नहीं साथ निभानेवाला,
वही अंदाज़ है उस ज़ालिम का ज़माने वाला।
- via bkb.ai/shayariहमने तो अपनी ज़िन्दगी तमाम कर दी,
अपनी तो हर साँस उनके नाम कर दी।
सोचा था कि कभी तो गुजरेगी रात काली,
पर उसने तो सुबह होते ही शाम कर दी।
समझ पाते हम मोहब्बत की सरगम को,
उसने सुरों की महफ़िल सुनसान कर दी।
कर लिया यक़ीन हमने भी उसके वादों पे,
मगर उसने तो बेरुखी हमारे नाम कर दी।
हम मनाते रहे ग़म अपनी मात पर चुपचाप,
मगर उसने तो मेरी चर्चा सरे-आम कर दी।
ये खुदगर्ज़ी ही आदमी की दुश्मन है "मिश्र",
जिसने इंसान की नीयत ही नीलाम कर दी।
- शांती स्वरूप मिश्र via bkb.ai/shayariदोस्त बनकर भी वो नहीं साथ निभानेवाला,
वही अंदाज़ है उस ज़ालिम का ज़माने वाला।
- via bkb.ai/shayariहमने तो अपनी ज़िन्दगी तमाम कर दी,
अपनी तो हर साँस उनके नाम कर दी।
सोचा था कि कभी तो गुजरेगी रात काली,
पर उसने तो सुबह होते ही शाम कर दी।
समझ पाते हम मोहब्बत की सरगम को,
उसने सुरों की महफ़िल सुनसान कर दी।
कर लिया यक़ीन हमने भी उसके वादों पे,
मगर उसने तो बेरुखी हमारे नाम कर दी।
हम मनाते रहे ग़म अपनी मात पर चुपचाप,
मगर उसने तो मेरी चर्चा सरे-आम कर दी।
ये खुदगर्ज़ी ही आदमी की दुश्मन है "मिश्र",
जिसने इंसान की नीयत ही नीलाम कर दी।
- शांती स्वरूप मिश्र via bkb.ai/shayariउसकी शख्सियत में वो अहसास तो है,
अभी अपना नहीं है मगर खास तो है,
उसकी बातों में अभी है लफ्ज़-ए-इन्कार,
बहुत थोड़ी ही सही मगर मुझे आस तो है।
~प्रिन्स वर्मा
- via bkb.ai/shayariआज तक है उसके लौट आने की उम्मीद,
आज तक ठहरी है ज़िंदगी अपनी जगह,
लाख ये चाहा कि उसे भूल जाये पर,
हौंसले अपनी जगह बेबसी अपनी जगह ।
- via bkb.ai/shayariआज तक है उसके लौट आने की उम्मीद,
आज तक ठहरी है ज़िंदगी अपनी जगह,
लाख ये चाहा कि उसे भूल जाये पर,
हौंसले अपनी जगह बेबसी अपनी जगह ।
- via bkb.ai/shayariदेख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना
नफरत बता रही है...
तूने मोहब्बत गज़ब की की थी।
- via bkb.ai/shayariदेख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना
नफरत बता रही है...
तूने मोहब्बत गज़ब की की थी।
- via bkb.ai/shayariदेख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना
नफरत बता रही है...
तूने मोहब्बत गज़ब की की थी।
- via bkb.ai/shayariआज तक है उसके लौट आने की उम्मीद,
आज तक ठहरी है ज़िंदगी अपनी जगह,
लाख ये चाहा कि उसे भूल जाये पर,
हौंसले अपनी जगह बेबसी अपनी जगह ।
- via bkb.ai/shayariआज तक है उसके लौट आने की उम्मीद,
आज तक ठहरी है ज़िंदगी अपनी जगह,
लाख ये चाहा कि उसे भूल जाये पर,
हौंसले अपनी जगह बेबसी अपनी जगह ।
- via bkb.ai/shayariउसकी शख्सियत में वो अहसास तो है,
अभी अपना नहीं है मगर खास तो है,
उसकी बातों में अभी है लफ्ज़-ए-इन्कार,
बहुत थोड़ी ही सही मगर मुझे आस तो है।
~प्रिन्स वर्मा
- via bkb.ai/shayariदेश में बढ़ रहा है खज़ाना
मगर फिर भी अमीरों की भूख
मिटती नज़र नहीं आती।
देश में अन्न भंडार बढ़ा है
पर सो जाते हैं कई लोग भूखे
उनकी भूख मिटती नज़र नहीं आती।
सभी बेच रहे हैं सर्वशक्तिमान के दलाल
शांति, अहिंसा और गरीबों का ख्याल रखने का संदेश
मगर इंसानों पर असर होता हो
ऐसी स्थिति नहीं बन पाती।
फरिश्ते टपका रहे आसमान से तोहफे
लूटने के लिये आ जाते लुटेरे,
धरती मां बन देती खाने के दाने,
मगर रुपया बनकर
चले जाते हैं वह अमीरों के खातों में,
दिन की रौशनी चुराकर
महफिल सज़ाते वह रातों में,
भलाई करने की दुकानें बहुत खुल गयीं हैं
पर वह बिना कमीशन के कहीं बंटती नज़र नहीं आती।
- करनवीर कवि via bkb.ai/shayariसाथ तेरा जो मिला तो दिल में सुकून सा लगने लगा तेरा ना छोड़ेंगे साथ कभी हर पल ख़्वाब सजने लगा
- via bkb.ai/shayariरिश्तों से बड़ी चाहत और क्या होगी, दोस्ती से बड़ी इबादत और क्या होगी, जिसे दोस्त मिल सके कोई आप जैसा, उसे ज़िंदगी से कोई और शिकायत क्या होगी।
- via bkb.ai/shayariजाड़ों की गुनगुनी धूप
गर्मियों की शामें
और बरसात की हरियाली
मुझे मायूस करते हैं
मैं कुछ खो सा जाता हूँ
फिर...
कभी तेरे ख्यालात
और कभी मेरे जज़्बात
हावी होते जाते हैं
फिर एक सावन आता है
सब कुछ बह सा जाता है
मुझे महसूस होता है
अगर मैं हूँ तो फिर क्यूँ हूँ
मन जाने क्या क्या कह जाता है
पर दर्द अनसुना सा रह जाता है ..।
- विशाल बाबू via bkb.ai/shayari