0.32. कवि मन रूपी बंजरता को तोड़ने के लिए क्या
करने कहते हैं?
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कवि मन रूपी बंजरता को तोड़ने के लिए क्या करने कहते हैं?
उत्तर : कवि मन रूपी बंजरता को तोड़ने के लिए सृजन करने की ओर संकेत करता है। कवि कहता है कि मन रूपी भूमि की बंजरता को तोड़ने के लिए उस पर विचार रूपी खेती सृजन करना होगा। मन रूपी बंजर भूमि को अपने मेहनत और कर्म के माध्यम से कृषि योग्य बना कर उस पर अपनी सफलता की फसल लहरानी होगी, जिससे चारों तरफ खुशहाली आए।
कवि रघुवीर सहाय अपनी कविता ‘तोड़ो’ में कवि मन रूपी मन रूपी बंजरता को तोड़ने के लिए कहते हैं कि मन रूपी मैदान जो रूढ़िवादी सोच है, उसको उखाड़ फेंकना है, अर्थात मन में जो भी विकार हैं, बुरे विचार हैं, उन सबको निकाल फेंकना है, मन में जो बंधन है जो आगे बढ़ने में बाधक हैं, उन सब को छोड़कर अपने मन को स्वच्छ और निर्मल बनाना है और प्रगति के पास मार्ग पर निकल जाना है।
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