0) क्रस वैज्ञानिक ने ब्रह्माण्ड उत्पत्ति सम्बन्धी बिग-बैंग सद्धांत का प्रमाण दिया?
(1) एडापन हब्बल (2) लाप्लास (3) कान्ट
(4) चेम्बर्
Answers
Answer:
1) एडविन हब्बल
Explanation:
यह एडविन हब्बल थे जिन्होंने वर्ष 1929 में यह बताया कि सभी गैलेक्सी एक दूसरे से सिकुड़ रहे हैं. उन्होंने इस बात को भी बताया कि दूरस्थ की आकाशगंगाओं के मध्य आपसी सम्बन्ध होता है. और वे रेड्शिफ्ट के माध्यम से एक-दूसरे से सम्बंधित होती हैं. यद्यपि ब्रहमांड की उत्पत्ति के सन्दर्भ में दो सिद्धांतों बिंग-बैंग सिद्धांत और स्टेडी स्टेट थ्योरी मौजूद थें. लेकिन वर्ष 1964 में, कॉस्मिक माइक्रोवेव पृष्ठभूमि विकिरण की खोज के साथ ही बिग बैंग सिद्धांत की पुष्टि की गयी थी.
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Explanation:
बिग बैंग सिद्धांत के आरंभ का इतिहास आधुनिक भौतिकी में जॉर्ज लेमैत्रे ने लिखा हुआ है
बिग बैंग सिद्धान्त के अनुसार, यह ब्रह्मांड अति सघन (एक प्रोटोन से छोटा)था। इस सिद्धन्त के अनुसार इस प्रोटोन से छोटे ब्राह्मण के अंदर एक महा विस्फोट हुआ।यह विस्फोट इतना ज्यादा ऊर्जावान था कि अब तक इसका विस्तार जारी है। एक दृश्य है कोमात्सू, ई; एत अल. (२००९). "फ़ाइव इयर विल्किन्सन माइक्रोवेव ऐनिस्ट्रॉपी प्रोब ऑब्ज़र्वेशंस: कॉस्मोलॉजिकल इन्टर्प्रेटेशंस". ऍस्ट्रोफिज़िकल जर्नल सप्लीमेन्ट. १८०: ३३०. बिबकोड:2009. इस धमाके में अत्यधिक ऊर्जा का उत्सजर्न हुआ। यह ऊर्जा इतनी अधिक थी जिसके प्रभाव से आज तक ब्रह्मांड फैलता ही जा रहा है। सारी भौतिक मान्यताएं इस एक ही घटना से परिभाषित होती हैं जिसे बिग बैंग सिद्धान्त कहा जाता है। महाविस्फोट नामक इस महाविस्फोट के धमाके के मात्र १.४३ सेकेंड अंतराल के बाद समय, अंतरिक्ष की वर्तमान मान्यताएं अस्तित्व में आ चुकी थीं। भौतिकी के नियम लागू होने लग गये थे। १.३४वें सेकेंड में ब्रह्मांड १०३० गुणा फैल चुका था और क्वार्क, लैप्टान और फोटोन का गर्म द्रव्य बन चुका था। १.४ सेकेंड पर क्वार्क मिलकर प्रोटॉन और न्यूट्रॉन बनाने लगे और ब्रह्मांड अब कुछ ठंडा हो चुका था। हाइड्रोजन, हीलियम आदि के अस्तित्त्व का आरंभ होने लगा था और अन्य भौतिक तत्व बनने लगे थे
ब्रह्मांड का जन्म एक महाविस्फोट के परिणामस्वरूप हुआ।[1] इसी को महाविस्फोट सिद्धान्त या बिग बैंग सिद्धान्त कहते हैं।[2], जिसके अनुसार लगभग बारह से चौदह अरब वर्ष पूर्व संपूर्ण ब्रह्मांड एक परमाण्विक इकाई के रूप में था।[3] उस समय मानवीय समय और स्थान जैसी कोई अवधारणा अस्तित्व में नहीं थी।[4]