Hindi, asked by balbahadurkushwah, 7 months ago

04G
"फारसी पढ़कर तेल नहीं
बेचा जा सकता।" यह
कथन किसका है?
1 रामचरन का
2 लेखक का
लेखक के मामा का
लेखक के चाचा का
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Answers

Answered by shishir303
4

सही जवाब है...

► लेखक के चाचा का

स्पष्टीकरण:

‘श्रीलाल शुक्ल’ द्वारा लिखित “पहली चूक” नामक व्यंगात्मक निबंध में लेखक के चाचा लेखक को खेती के बारे में समझाते हुए बोलते हैं कि खेती का का कार्य है तो बड़ा ही उच्च कोटि का, लेकिन फारसी पढ़कर जिस तरह तेल नहीं बेचा जा सकता, उसी तरह अंग्रेजी पढ़ कर खेत नहीं जोता जा सकता। वो फिर समझाते हुए बोलते हैं फारस में जो तेल बेचते हैं, वे संस्कृत नहीं बोलते, खेत जोतते हैं उसी तरह भारत में फारसी पढ़कर तेल नहीं बेचा जाता और अंग्रेजी पढ़ कर खेती नहीं की जाती।

यह मुहावरा भारत में मुगलों के समय बेहद प्रचलन में था, क्योंकि उस समय मुगलों के राजकाज की भाषा फारसी थी और उस भाषा को बड़ा ही महत्व दिया जाता था। फारसी भाषा पढ़ने वाला व्यक्ति बड़ा ही विद्वान माना जाता था। फारसी भाषा को सीखने में बड़ी मेहनत लगती थी। जिसने फारसी भाषा सीख ली, उसे राज के दरबार में आसानी से उच्च पद पर नौकरी मिल जाती थी। तेल बेचना उस समय छोटा कार्य माना जाता था। ऐसी स्थिति में फारसी भाषा पढ़ने वाले के लिए तेल बेचने जैसा छोटा कार्य करना उनकी तौहीन माना जाता था।

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Answered by sabikqureshi9
0

Answer:

Gobar Pavitra vastuon ka Sthan kahan hai

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