1.1 ‘कण-कण में है व्याप्त वही स्वर ….. कालकूट फणि की चिंतामणि’
‘वही स्वर’, ‘वह ध्वनि’ एवं ‘वही तान’ अदि वाक्यांश किसके लिए/किस भाव के लिए प्रयुक्त हुए हैं?
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उत्तर : (क) : कवि 'वही स्वर', 'वह ध्वनि' एवं 'वही तान' अदि वाक्यांश का भाव नव-निर्माण और जनता को जागृत करने के लिए प्रयुक्त हुए हैं।
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कवि ने वह स्वर, वह ध्वनि, और वही तान क्रांति को जगाने की भावना से प्रयुक्त किया है। कवि का आशय है कि उसके क्रांतिकारी गीत में इतनी उत्तेजना है कि इस संसार के कण-कण में व्याप्त क्रांति का ये स्वर मुखरित हुआ है। शरीर का रोम-रोम भी इसी क्रांति की ध्वनि को गा रहा है और वही क्रांति की तान भी दे रहा है
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