(1)
अपठित अश)
निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढिए और पूछे गए प्रश्नों
10
के उत्तर लिखिए
जान राशि के सचित कोष ही का नाम साहित्य है। सब तरह के
भावों को प्रकट करने की योग्यता रखनेवाली और निर्दोष होने पर
भी, यदि कोई भाषा अपना निज का साहित्य नहीं रखती तो वह,
रूपवती भिखारिनी की तरह, कदापि आदरणीय नहीं हो सकती।
उसकी शोभा, उसकी श्रीसम्पन्न्ता, उसकी मान मर्यादा उसके
साहित्य ही पर अवलंबित रहती है। जाति-विशेष के उत्कर्षापकर्ष
का, उसके ऊँच-नीच भावों, उसके धार्मिक विचारों और सामाजिक
संघटन का, उसके ऐतिहासिक घटनाचक्रों और राजनैतिक
स्थितियों का प्रतिबिम्ब देखने को यदि कहीं मिल सकता है तो
उसके ग्रन्य-साहित्य ही में मिल सकता है। साहित्य में जो शक्ति
छिपी है वह तोप, तलवार और बम के गोलों में भी नहीं पायी
जाती, जो साहित्य मुर्दो को भी जिन्दा करनेवाली संजीवनी
औषधि का आधार है, जो साहित्य पतितों को उठानेवाला और
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अण में आयकर विभाग की ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाई हो प्रणाम एव सभी छोटे भाई अब तो बस यही कामना है कि आप सभी को बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय नमामि में आयकर विभाग की ढेर सारी शुभकामनाएं और बधाई हो प्रणाम एव सभी छोटे भाई अब
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