Hindi, asked by yashika929, 11 months ago

(1) “बरदंत की पंगति कुंद कली, अधराधर पल्लव खोलन की।
चपला चमकें घन-बीच जगै, छवि मोतिन-माल अमोलन की।
घंघराली लटें लटकें मुख-ऊपर, कुंडल लोल कपोलन की।
निवछावर प्रान करें 'तुलसी' बलि जाऊँ लला इन बोलन की।
(vi) राम नाम मणि दीप धरु, जीह देहरी द्वार।।
तुलसी भीतर बाहिरो जौ चाहसि उजियार।।।
(vii) विन्ध्य के वासी उदासी तपोव्रतधारी महा बिन नारि दुखारे।।
गौतम-तीय तरी, तुलसी सो कथा सुनि में मुनि-बृन्द सुखारे।।
है हैं सिला सब चन्द्रमुखी परसे पग मंजुल कंजतिहारे।।
कीन्हीं भली रघुनायक जू करुना करि कानन को पगु धारे।।
isme konsa ras h​

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Answered by ritulrajput4139
3

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“बरदंत की पंगति कुंद कली, अधराधर पल्लव खोलन की।

Answered by sr6860116
0

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pls explain it you have not explained

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