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*(1) घायल हरिण-शावक को बचाने के लिए कालिदास
ने क्या-क्या किया?
Answers
O घायल हरिण-शावक को बचाने के लिए कालिदास ने क्या-क्या किया?
➲ जब राजपुरुष दंतुल के बाण से घायल होकर हिरण शावक तड़प रहा था, तब कालिदास ने उसकी प्राण रक्षा करते हुए उसे अपने संरक्षण में लिया। उन्होंने घायल तड़पते हिरण-शावक को दूध पिलाया और उसके घावों पर घृत यानी घी लगाकर उसका उपचार किया। उन्होंने हिरण-शावक को अपनी गोद में उठाकर उसके कोमल शरीर को चलाते हुए उसे सांत्वना दी।
उन्होंने राजपुरुष दन्तुल को कोसते हुए कहा, कि ना जाने कैसा निष्ठुर व्यक्ति है, जिसने इसके कोमल शरीर पर अपने कठोर बाण छोड़े। वह हिरण सेवक को सांत्वना देते हुए कहते हैं कि एक बाण से आहत होकर तुम्हें अपने प्राण नहीं त्यागने हैं। यदि एक बाण प्राण ले सकता है, तो उंगलियों का कोमल स्पर्श प्राण दे भी सकता है।
इस तरह कालिदास ने हिरण-शावक को अपने संरक्षण में लेकर उपचार, प्रेम और सांत्वना से उसके प्राणों की रक्षा की। उन्होंने निर्भीक होकर हिरण-शावक राजपुरुष दन्तुल के हवाले नही किया और उसका कड़ा प्रतिकार किया।
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Explanation:
Santiago के बado से घायल हरिनसाvak को कालिदास ने अपने पास लिया और उसके मरहम पर ghi लगाया और उसको दूध पिलाया .