1. कौमारभृत्य जीवक कैसे वैद्य थे?
2. प्रकृति से प्राप्त जैव-संपदा को नष्ट करने वाले लोग कैसे होते हैं?
3. प्राणियों के समान सजीव किन्हें कहा है?
4. जीवक ने आयुर्वेद की शिक्षा किस विश्वविद्यालय से प्राप्त की थी?
5. अयोध्या नगरी के तत्कालीन प्रसिद्ध वैद्य का नाम क्या था?
6. जीवक की सारी कामनाएँ किसके ज्ञान से पूरी हुई?
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Answer:
जीवक, एक कूड़े के ढेर पर मिला था | कूड़े के ढेर पर निजात शिशु को देख कर वहॉ भीड़ एकत्र हो गई, उसी समय पर वहॉ से राजा बिम्बिसार के पुत्र राजकुमार अभय कि सवारी गुजर रही थी | राजकुमार अभय ने भीड़ को देख कर एकत्र लोगों से प्रकरण कि जानकारी ली, तो पता चला कि नवजात शिशु जीवित है, अभय ने नवजात शिशु को इस कारण ‘जीवक’ नाम उसको देकर उसे गोद लेकर उसका अपने पुत्र कि तरह लालन पालन किया |
जीवक कि आयु बढने पर, उसे पता चला कि वह कूड़े के ढेर पर मिला था व अभय ने करूणावस उसका लालन पालन किया है | जीवक को लगा सभी बच्चे बडे होकर कोई न कोई सिप्प सीखकर कोई व्यवसाय करते हैं, अत: जीवक ने अभय से चिकित्सक (वैद्य) बनने कि इच्छा प्रकट की | अभय का आशीर्वाद प्राप्त करके जीवक तक्षसिला चिकित्सक बनने के लिए चला गया |
शिक्षा प्राप्त करने के बाद अपने गुरू से पूछा, “अभी कितने दिनों तक और शिक्षा प्राप्त करनी होगी|” ! गुरू ने कहा, “जीवक! तक्षसिला कि गलियों में जाओ व जंगलो में भी जाओं और वहा पर जो भी ऐसा पौधा या वृक्ष मिले जिसकी औषधी न बनाई जा सकती हो, उसे तोडकर मेरे पास ले आओ|” जीवक ने सारा क्षेत्र ढूंढ मारा ऐसा कोई पौधा या वृक्ष नहीं मिला जिससे औषधि न बनाई जा सके और यही बात उसने अपने गुरू को बता दी | गुरू ने कहा, “तेरी शिक्षा पूर्ण हुई|” तब जीवक राजगृह अपने पिता अभय के पास पहुंचने के लिए निकल पडा|
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