1. कोष्ठकप्रदत्तवर्णेषु उचितवर्णान् चित्वा रिक्तस्थानानि पूरयन्तु-
(0)
'अन्त:स्थः वर्णः अस्ति ।
(य्, क्, ट्)
(ii) ये वर्णाः स्वतन्त्राः भवन्ति ते
कथ्यन्ते । (स्वराः, व्यञ्जनानि, स्पर्शाः)
(iii) व्यञ्जनानां संख्या
(1333 23)
(iv) स्वराणां संख्या
(13 33 23)
(v) येषाम् वर्णानाम् उच्चारणे द्विमात्रायाः समयः प्रयुज्यते ते
(हस्वः दीर्घाः, प्लुतः)
भवति ।
भवति ।
कथ्यन्ते ।
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स्वर या अच् वे ध्वनियाँ हैं जिन का उच्चारण अन्य ध्वनियों की सहायता के बिना हो सकता है। स्वर का अर्थ है ऐसा अक्षर जिसका उच्चारण स्वयं होता है।
संस्कृत भाषा में सामान्यतः निम्न तेरह (13) स्वर कहे जाते हैं:
अ (a), आ (a), इ (i), ई , उ (oo), ऊ (oo) ऋ (r), ऋ , ल (Ir) ए (e), ऐ (ai). ओ (0), औ (au)।
स्वरों का वर्गीकरण (Classification of vowels)
उच्चारण कला या मात्रा के आधार पर स्वर तीन प्रकार के होते हैं
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