Math, asked by KrishRajMehta17, 1 year ago

1. खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का क्या मतलब है? अपने घर के
उदाहरण देकर इसकी व्याख्या करें?​

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Answered by wwwdivyadeshmukh421
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Answer:

.खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का मतलब देश -विदेश के सभी व्यंजनों को खाने में शामिल करने से है| स्थानीय व्यंजनों और पकवानों के साथ अन्य राज्यों/देशों के भी स्वादिष्ट भोजन के बारे में जानना, पकाना और खाना चाहिए। आजकल हर घर में अलग -अलग तरह के स्वादिष्ट भोजन खाने को मिलते हैं। इसी तरह मेरे घर में भी कभी दाल, कभी पूड़ी, कभी सब्जी -चावल, कभी रोटी, कभी भटूरे, कभी चाउमीन, कभी पाश्ता, कभी डोसा और कभी इडली -सांबर आदि व्यंजन परोसे जाते हैं। अब तो पिज्जा और बर्गर का चलन भी बढ़ गया है। इसलिए हम सब कभी -कभी घर से बाहर जाकर इन व्यंजनों के स्वाद का भी मजा लेते हैं। खानपान की मिश्रित संस्कृति विविधता को बढ़ावा देती है|

Answered by Harshikesh16726
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Answer:

खानपान की मिश्रित संस्कृति से लेखक का तात्पर्य सभी प्रदेशों के खान-पान के मिश्रित रूप से है। यहाँ पर लेखक यह कहना चाहते हैं कि आज एक ही घर में हमें कई प्रान्तों के खाने देखने के लिए मिल जाते हैं। लोगों ने उद्योग धंधों, नौकरियों व तबादलों के कारण व अपनी पसंद के आधार पर एक दूसरे के प्रांत की खाने की चीज़ों को अपने भोज्य पदार्थों में शामिल किया है।

मेरा घर कोलकत्ता में है। मैं बंगाली परिवार से हूँ। हमारा मुख्य भोजन चावल और मछली है, लेकिन हमारे घर में चावल और मछली के अलावा दक्षिण भारतीय व्यंजन इडली, सांभर, डोसा आदि और पाश्चात्य भोजन बर्गर व नूडल्स भी पसंद किए जाते हैं। यहाँ तक कि हम इन्हें बाज़ार से न लाकर अपने ही घर में बनाते हैं।

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