1. माँ भाइयों के बीच पूल बनी थी।
2. बेटे उत्तरदायित्व को बोझ नहीं समझनेवाले थे।
3. माँ की देखभाल की जिम्मेदारी बेटों पर आ गई।
4. मुसीबत समझकर माँ स्वयं बिछुड़ती है।
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Answer:
पुल बनी थी माँ आशयग्रहण के प्रश्न
प्रश्ना 1.
‘पुल बनी थी माँ’ से क्या तात्पर्य है?
Kerala Syllabus 9th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 पुल बनी थी माँ 1
उत्तर:
पुल दो किनारों को आपस में जोड़ता है। माँ परिवार के हर सदस्य को आपस में जोड़नेवाली कड़ी थी। इसलिए माँ को पुल कहा गया है।
प्रश्ना 2.
‘बुढ़ा रही है माँ’ इसका आशय क्या है?
Kerala Syllabus 9th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 पुल बनी थी माँ 2
उत्तर:
प्रस्तुत पंक्ति का आशय यह है कि माँ के शरीर पर बुढ़ापे का असर दिखने लगा। वह शारीरिक और मानसिक रूप से कमज़ोर होने लगी।
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प्रश्ना 3.
‘माँ आख़िर माँ ही तो है’ इससे आपने क्या समझा?
Kerala Syllabus 9th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 पुल बनी थी माँ 3
उत्तर:
इसका मतलब है कि माँ का मातृत्व बच्चों की कठिनाइयों को अच्छी तरह जानता है। अर्थात् माँ अपने बच्चों के बारे में सबकुछ जानती है।
पुल बनी थी माँ Text Book Activities
पुल बनी थी माँ अभ्यास के प्रश्न
प्रश्ना 1.
बेटों का जीवन बेरोकटोक चलती गाड़ी के समान रहा।
Kerala Syllabus 9th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 पुल बनी थी माँ 15
उत्तर:
दौड़ती रहती थी बेधड़क
बिना किसी हरी लाल बत्ती के
हम लोगों की छुक छुक छक छक
प्रश्ना 2.
माँ की देख-भाल की ज़िम्मेदारी बेटों पर आ गई।
Kerala Syllabus 9th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 पुल बनी थी माँ 4
उत्तर:
हाथों हाथ रहती माँ
एक दिन हमारे कंधों में आ गई
प्रश्ना 3.
बेटे अपने दायित्व बदलते रहे।
Kerala Syllabus 9th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 पुल बनी थी माँ 5
उत्तर:
जब तक जीवित रही माँ।
हम बदलते रहे अपने कंधे
HSSLive.Guru
प्रश्ना 4.
माँ के चले जाने से बेटे बेसहारे बने।
Kerala Syllabus 9th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 पुल बनी थी माँ 6
उत्तर:
और माँ के कंधों से उतरते ही
उतर गए हमारे कंधे
पुल बनी थी माँ विधात्मक प्रश्न
प्रश्ना 1.
कविता का परिचय देते हुए टिप्पणी लिखें।
Kerala Syllabus 9th Standard Hindi Solutions Unit 1 Chapter 1 पुल बनी थी माँ 7
उत्तर:
पुल बनी थी माँ : बदलते पारिवारिक संबंधों की आलोचना
कविता ‘पुल बनी थी माँ’ बूढ़े-बुजुर्गों के प्रति उत्तरदायित्वों से विमुख होती जा रही नई पीढ़ी के व्यवहार को दर्शाता है। कविता में माँ के पुल होने और पुल से बोझ बनने की हालत पर चर्चा की गई है।
माँ भाइयों के बीच पुल बनी थी। पुल दो किनारों को आपस में जोड़ता है। माँ परिवार के हर सदस्य को आपस में जोड़नेवाली कड़ी रही। इस माँ रूपी पुल से बच्चों की जिंदगी रूपी रेल गाड़ी बेरोकटोक चलती रही। पिता के चल बसने के बाद भी भाइयों के बीच माँ पुल बनी रही। माँ धीरे-धीरे टूटने लगी। यानी मानसिक रूप से वह धीरे-धीरे कमज़ोर होती गई। उसके शरीर पर बुढ़ापे का असर दिखने लगा। वह शारीरिक रूप से भी
कमज़ोर होने लगी थी। एक ही बात को माँ बार-बार कहने लगी। बच्चे इस आदत को उनके बढ़ते हुए बुढापे की निशानी मानकर जीने लगे। उसकी आवाज़ कमज़ोर होती रही। वह धीरे-धीरे दुर्बल होती रही।
बच्चों के प्रति प्यार और दुलार से रहनेवाली माँ एक दिन बच्चों के आश्रय में आ गईं। धीरे-धीरे बच्चों के सशक्त कंधों में माँ बोझ बन गईं। जब तक बूढ़ी माँ जीवित रही, बच्चे माँ की देखरेख की ज़िम्मेदारी एक दूसरे के कंधों पर डालते रहे। सारी जिंदगी बच्चों के लिए जीनेवाली माँ बुढ़ापे में बच्चों के लिए भार बन गई। पर माँ का मातृत्व बच्चों की इस कठिनाई को सह नहीं पाया। वह स्वयं उनके कंधों से उतर गई मतलब उसका अंतिम प्रयाण हो गया। माँ के अभाव में बच्चे बेसहारे बन गए। कविता में प्रयुक्त शब्द, कथन और मुहावरे- वृषभ कंधा, कंधा बदलना, उतर गए कंधे आदि कविता को और सशक्त बनाया है।