Hindi, asked by kavitarai1518387, 8 months ago

1.मौखिक
(क) वर्षा की पहली बूंद धरती पर कब आई?
(ख) नए जीवन की अंगड़ाई कौन ले रहा है?
(ग) सूखी धरती पर वर्षा की बूंद को किसके समान माना गया है?
(घ) कविता में बादल को किसके समान बताया गया है?
(ङ) धरती किसके लिए ललचाई?​

Answers

Answered by satishmadhale
2

Answer:

बारिश की बूंद देख दिल में ख़्याल आया,

कहां जाएगी यह बूंद मेरे मन में विचार आया।

देखा एक छोटी सी बूंद मुझे बुला रही थी।

सपना था या वो हकीकत पर सच्च बता रही थी ।

मैं भी उस संग बूंद बन बैठा,

सफ़र शुरू हुआ मेरा, पहले ही घबरा बैठा।

बारिश की करोड़ों बूंदों में आपने आपको खो बैठा 

निकला था सफर बूंद का देखने, पर उन करोड़ो बूंदों में खुद मिट बैठा।

बूंद ने हौंसला दे मुझे जगाया,

आएंगी और भी तकलीफें उसने बताया।

सफ़र शुरू हुआ फिर से, इस बार हम पहाड़ों पर गिरे,

बूंद भी था मैं कभी यह मुझे भी याद ना आये।

गिरा मैं मिट्टी पर पल भर में सब खो दिया,

दुनिया में क्यों आया, यह मुझे भी न पता चला।

बारिश की बूंद फ़िर पास आई,

सफ़र अभी खत्म नहीं हुआ यह याद दिलाई।

इस बार मैं फूलों पर गिरा,

ख़ुद को सब से खूबसूरत समझ बैठा,

तेज़ धूप की रोशनी ने मुझे मिटा ही दिया,

मेरा क्या अस्तित्व यह याद दिला दिया।

हौंसला खो ही रह था, बूंद फिर मेरे पास आई।

आगे का रास्ता और भी ख़ास मुझे बतलाई।

थका थका लग रहा था,

करोड़ों बूंदों के साथ बरस रहा था।

अचानक मैं खेतों में गिरा,

अन्न दाता के दिल पर गिरा।

मेरे गिरते ही अन्न दाता खुश हो गया,

अपनी रोती हुई आँखों से मेरा स्वगात किया।

अन्न दाता का हाल देख मैं भी रो दिया,

मैं बारिश का पानी उस अन्न दाता का हो बैठा।

आया सूंदर पल आँखें चमक गयीं,

मेरे सफ़र का आखिरी पड़ाव मुझे दिखाई दी।

गिरा बूंद बन एक समुंदर के पास पड़ी सीपी में, मोती बन उभरा दुनिया के सामने आपने सफ़र से।

छोटी सी बूंद ने मुझे समझया,

आती कठनाइयों का हौसले से स्वगात करो यह बतलाया।

आखिर में मोती बन दुनिया में आओगे,

तुम बूंद हो पर मेहनत से मोती बन जाओगे।

Explanation:

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