Hindi, asked by poojayadav8875, 3 months ago

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मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई।
जाके सिर मोर-मुकुट, मेरो पति सोई।
छाँड़ि दईकुल की कानि, कहा करिहै कोई।
संतन ढिंग बैठि-बैठि, लोक-लाज खोई।
अँसुवन जल सींचि-सींचि प्रेम बेल बोई।
अब तो बेल फैल गई, आनंद फल होई
भगति देखि राजी हुई, जगति देखि रोई।
दासी मीरा लाल गिरिधर, तारो अब मोही।।bhavarth

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Answers

Answered by nishasingh861991
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Answer:

मेरे तो गिरधर गोपाल, दूसरो न कोई।

जाके सिर मोर-मुकुट, मेरो पति सोई।

छाँड़ि दईकुल की कानि, कहा करिहै कोई।

संतन ढिंग बैठि-बैठि, लोक-लाज खोई।

अँसुवन जल सींचि-सींचि प्रेम बेल बोई।

अब तो बेल फैल गई, आनंद फल होई

भगति देखि राजी हुई, जगति देखि रोई।

दासी मीरा लाल गिरिधर, तारो अब मोही।।bhavarth

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