(1) मातृभूहमिं प्रर्त प्रेम्र्ः, त्यार्स्य, आत्मोत्सर्धस्य, सवधस्वापधर्स्य च नैके समुज्ज्वलाः पृष्ठाः राजस्थानस्य इर्तहासेहमलन्ति परिु
‘रातीघाटी’ नामकस्य युद्धस्य उल्लेखः राजस्थानस्य इर्तहासेलुप्तप्रायः वतधते। बार्दशाह बाबर इत्यस्य पुत्रः (हुमायूूँइत्यस्य
अनुजः) कामरानः बीकानेरस्य राजा राव जैतसी च इत्यनयोः द्वयोः मध्ये बीकानेरे घनटतं महत्युद्ध भारतीय-शौयधस्य
र्ौरवशाललनी कथा अस्ति । अस्य युद्धस्य र्तधथ: 26 ओक्टोबर 1534 ए. िी. इत्यस्ति । भारतंजेतुम्लाहोरात्आर्तः कामरानः
पलार्यतः। तस्य शशरस्त्रार्ं (मुकु टम्) मध्येमा ‘छोटऩिया’ ग्रामेपर्ततम्। अद्ाहप तन्मुकु टम्तद्ग्रामेसुरलक्षतम्अस्ति । अस्य
रातीघाटी-युद्धस्य नकञ्चिद् र्विृत वर्धनं ‘बीिूसूजा’ इत्यनेन रधचते‘छन्द राव जैतसी रो’ इत्यस्तिन्ग्रन्थेवतधते। अस्य च
ग्रन्थस्य द्धारंिॉ. एली. पी. टैस्सीटोरी अकरोत्।
1. अस्य अनुच्छेर्दस्य समीचीन शीषधकं ललखिु। (इस र्द्ांश का उधचत शीषधक ललखें।
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रातीघाटी समिति और इतिहास समिति के संयुक्त तत्वावधान में मंगलवार को श्री लक्ष्मीनाथ मंदिर परिसर स्थित राव बीकाजी की छतरी पर रातीघाटी विजय दिवस लोक उच्छब के रूप में मनाया गया। इस अवसर पर नरेंद्र सिंह बीका ने कहा कि रातीघाटी युद्ध इतिहास का गौरवशाली अध्याय है। समिति शासकीय जनप्रतिनिधियों के सहयोग से बीकाजी की छतरी का पुनर्निर्माण करवाएगी। इतिहास समिति के लेखक डॉ. राजेंद्र जोशी ने राती घाटी युद्ध को भारत की पश्चिमी सीमा का निर्धारक युद्ध बताया। अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना के लेखक जानकी नारायण श्रीमाली ने कहा कि 26 अक्टूबर, 1534 ई. को बाबर के पुत्र बादशाह कामरा ने बीकानेर पर आक्रमण किया। राव जैतसी बीकानेर नरेश ने पूरे राजपुताना, सिंध, गुजरात और मालवा तक के योद्धाओं के सहयोग से लौहार-गजनी के मुगल बादशाह कामरा को पराजित किया। इस युद्ध में पूरे बीकानेर नगर और रियासत के लोगों की सक्रिय भागीदारी रही। कवि राजेंद्र स्वर्णकार ने राती घाटी युद्ध और मरुधरा यश के गीत सुनाएं।
लोक उच्छब में युवा राजपूत मिशन के सूरजमाल सिंह नीमराणा ने राव बीकाजी की छतरी के पुर्ननिर्माण के लिए सभी को संकल्प दिलाया। इस मौके पर देवकिशन कौशिक, किशनलाल पारीक, कर्नल हेमसिंह, आनंद सिंह बीठू, कर्नल महेंद्र सिंह, देवेंद्र कोचर, नारायण दास मोहता, महादेव प्रसाद आचार्य, डॉ. पी.आर. ओझा, अमरसिंह, बाबूसिंह राजपुरोहित, अरविंद ऊभा आदि उपस्थित थे।
लक्ष्मीनाथजी मंदिर में राती घाटी विजय दिवस पर पुष्पांजलि अर्पित करते लोग।
Explanation:
Not Completely sure about the answer... take references of your any Sanskrit Teacher...
I tried to give 100 percent correct answer...
Answer:
We should love our country and our birth place